tag:blogger.com,1999:blog-1547628931250007957.post4997087921808910451..comments2024-03-26T13:46:52.739+05:30Comments on "सोच का सृजन": छलावाविभा रानी श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/01333560127111489111noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-1547628931250007957.post-39901093136781925442018-11-23T21:13:55.322+05:302018-11-23T21:13:55.322+05:30sarthak postsarthak postanand.v.tripathi@gmail.comhttps://www.blogger.com/profile/14548341755218064873noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1547628931250007957.post-45590125691813819342018-09-16T12:26:37.667+05:302018-09-16T12:26:37.667+05:30This comment has been removed by the author.Book River Presshttps://www.blogger.com/profile/08626037673745727167noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1547628931250007957.post-40681417702126496202018-09-12T19:24:32.747+05:302018-09-12T19:24:32.747+05:30आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 13.9.18 को चर्चा मंच पर ...आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 13.9.18 को चर्चा मंच पर <a href="https://charchamanch.blogspot.com/2018/09/3093.html" rel="nofollow"> चर्चा - 3093 </a> में दिया जाएगा <br /><br />धन्यवाद दिलबागसिंह विर्कhttps://www.blogger.com/profile/11756513024249884803noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1547628931250007957.post-86516267119683326672018-09-11T15:51:33.348+05:302018-09-11T15:51:33.348+05:30अन्याय इस युग की बात नहीं है
जो ग्रन्थ हमारी पूजा ...अन्याय इस युग की बात नहीं है<br />जो ग्रन्थ हमारी पूजा घर के अमूल्य रत्न बन गए वो भी स्त्री अत्याचार के घोतक हैं। (महाभारत,रामायण)<br />जो रीति रिवाज हमारी संस्कृति के मनके हैं और समाज के नियम बन गए वो भी स्त्री जाति पर अत्याचार है।(बेटी के होने पर कोई रस्म नहीं और बेटे के होने पर थाली बजाई जाए,गीत गाये जाए, या पर्दा प्रथा या फिर दहेज ये सब स्त्री जाति का पुरजोर विरोध है)<br />हमारी मानसिकता अलग से सोचती ही नहीँ इस बारे में।<br />क्यों नहीं सोचते क्योंकि इन गर्न्थो को या इन रीति रिवाजों को हम भगवान ही मान बैठे हैं। और भगवान से किसको डर नहीं लगता।<br /><br />सोचने पर मजबूर कर देने वाली रचनाRohitas Ghorelahttps://www.blogger.com/profile/02550123629120698541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1547628931250007957.post-11937310447193030612018-09-11T12:16:38.384+05:302018-09-11T12:16:38.384+05:30परिवार की धुरी है वह,,, घूमती रहती है, खटती रहती ह...परिवार की धुरी है वह,,, घूमती रहती है, खटती रहती है फिर भी ऊँगली उठाने वाले उधार में मिल जाते हैं <br />बहुत अच्छी रचना कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.com