"यह तुमने क्या किया ? ढ़ाई-तीन सौ वैक्सीन फ्रीज से बाहर निकाल कर रख दी। फ्रिज से कुछ घण्टे बाहर रह जाएं तो बर्बाद हो जाते हैं। यह तो रात भर बाहर रह गए।"
"मुझे वैक्सीन पर कोई भरोसा नहीं है। मैं नहीं चाहती थी कि यह किसी को दिया जाए।"
"तुम नर्स होकर ऐसा कैसे सोच सकती हो?"
"नर्स हूँ इसलिए तो रोगियों का भला सोच रही हूँ।"
"ये वैक्सीन रोगियों को नहीं दिया जा रहा है। रोगी ना हो सकें, रोग से बचाव के लिए दिया जा रहा है और पहले हम चिकित्सक को और सत्तर साल उम्र वालों को दिया जा रहा है। क्या तुम वैक्सीन ली?"
"जी नहीं..,"
"बिना उपयोग-प्रयोग के तुमने यह कैसे निर्णय कर लिया कि यह वैक्सीन रोग से बचाव के योग्य नहीं?"
"वो.. जी वो.. नपुंसक बनाने की खबर...,"
"तुम्हारे भेजा में भूसा..., दाद देता हूँ नर्स मारिया को । सब उसके आभारी भी होंगे, फ्रिज काम नहीं कर रहा यह जानते ही उसने सबसे सम्पर्क किया और 600 लोगों को वैक्सीन लगवा कर वैक्सीन बर्बाद होने से बचा लिया । "
"शायद मैं ट्यूबलाइट हूँ सर..।"
अफवाहोंपर लोग ज्यादा भरोसा कर लेते हैं ।
ReplyDeleteभूसा भर कर ट्यूबलाईट बनाई जा सकती है मतलब :)
ReplyDelete🙏🤣
Deleteजब तथाकथित पढ़े-लिखे की मानसिकता का ये हाल है तो...
ReplyDeleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना मंगलवार १ मार्च २०२२ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
हार्दिक आभार आपका छुटकी
Deleteव्वाहहहहहह
ReplyDeleteसादर नमन
मानसिकता का हाल या सियासी चाल...कुछ कहा नहीं जा सकता...भला एक नर्स ऐसा क्यों करेगी।
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