"दो बार का मस्तिष्काघात और एक बार का हल्का पक्षाघात सह जाने वाला पति का शरीर गिरना सहन नहीं कर पाया। कलाई की हड्डी टूट गयी। सहानुभूति रखनेवालों का पत्नी के पर कुतरने का प्रयास जारी है।"
"सोच का सृजन"
Tuesday 24 October 2023
घर्षण
"दो बार का मस्तिष्काघात और एक बार का हल्का पक्षाघात सह जाने वाला पति का शरीर गिरना सहन नहीं कर पाया। कलाई की हड्डी टूट गयी। सहानुभूति रखनेवालों का पत्नी के पर कुतरने का प्रयास जारी है।"
Wednesday 18 October 2023
उधेड़बुन : उपचारिका की डायरी : एकालाप शैली
26 जनवरी 2006
पद्मश्री थामते हुए रोयें गनगना नहीं रहे थे। रोयें फ्लोरेंस नाईटिंगेल पुरस्कार छूते हुए भी नहीं गनगनाये थे। चिकित्सा का लाभ उठाने के लिए सुनामी से प्रभावित जनजाति जिन्हें नेग्रिटो नस्लियों स्टॉक कहा जाता था को मनाने में छठी का दूध याद आना हो जाता था। लेकिन चुनौती के दाँत खट्टे कर ही डाली।
25 जून 2014
बता दूँ! नहीं बताती हूँ! झूठ कैसे बोलूँगी... बता ही देती हूँ! लेकिन बता देने के बाद जो परिणाम होगा उसकी जिम्मेदारी किसके कन्धे पर होगी। सेक्सटॉर्शन में फँसकर बुजुर्ग ने आत्महत्या करने का प्रयास किया है। दो दिन के उलझन के बाद आज बुजुर्ग के बेटे को बता ही दिया। उसने वादा किया है। शान्ति से सोच समझ कर समस्या का हल निकालने में मेरी मदद लेगा।
14 अगस्त 2016
आज न्यायालय से हमारी शादी का पंजीयन हो गया। रिश्तेदारों का मानना था कि धनी परिवार की लड़की के लिए उपचारिका का पेशा बिलकुल सही नहीं है। इसलिए मैंने शादी ही नहीं करने का निर्णय लिया था। लेकिन सौगन्ध थोड़े न खायी थी। सेक्सटॉर्शन से उबरे बुजुर्ग और उनके बेटे की ज़िद के आगे मेरा निर्णय टिक नहीं सका।
20 मार्च 2020
आज हमारे अस्पताल में एक आकस्मिक मीटिंग के लिए बुलाया गया था। मीटिंग में हमें बताया गया कि हमारा हॉस्पिटल कोविड के मरीजों को भर्ती करेगा और हमें खुद को इसके लिए मानसिक तौर पर तैयार करना होगा। हम घर परिवार से दूर होंगे। मेरी बेटी एक साल की रिया को छोड़कर कैसे जाऊँ? अस्पताल ने मेरा नाम पुन: राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए भेजा है। नहीं जाऊँ तो श्रम से की गयी सेवा के बदले जो सम्मान मिला है वह धूल धुसरित हो जायेगा!
Thursday 5 October 2023
धर्म में शर्म नहीं!
"आज भी कुछ घरों के मंदिर में मिलता प्रवेश नहीं है, क्या पूर्वजों के बनाए नियम में दोष नहीं है!"
"आराम का संदेश, सभी नियमों में अहित समावेश नहीं है। ये जो हमलोगों को मिली नियति से शक्ति है, क्यों तुम और तुम्हारी सखी झिझकती है!"
"पैड प्रयोग करने की जागरूकता बढ़ी है। लेकिन कूड़ा निपटाने की समस्या ज्यादा सर चढ़ी है।"
"रुढ़ियों को तोड़ों! स्वास्थ्य को बचाना है, पढ़ो-लिखो आगे बढ़ते जाना है।"
"हमारे घरों की सहायिकाओं को स्काउट गाइड में प्रवेश दिलवाना है।"
"अवश्य! उत्तम प्रशिक्षण। ना इसमें ना कोई भेदभाव है ना जातिवाद होता है। क्या समाज को देना है, क्या जीवन से पाना है, तुम सभी का क्या लक्ष्य है?"
"पूछने वाला कोई गाँवों का हाल नहीं है। वहाँ वृद्धाश्रम का चाल नहीं है। मल पर पड़े तन्हा वृद्धों की सेवा करना, हमारा ध्येय है।"
"जब बचाने की बात हो तो वृक्ष छोड़ दिए जाने चाहिए, बीज को कभी भी नहीं छोड़े जाने चाहिए। क्योंकि बीजों से फिर नए वृक्ष हो ही जाते हैं।"
Tuesday 26 September 2023
अभियंता की डायरी : सारथी की यात्रा
मई 1998
बतौर कार्यपालक अभियन्ता गोदाम का दायित्व भार संभालते हुए ही बात समझ में आ गयी थी कि छोटी मछली को लील लेने के लिए व्हेल के संग अजगर मौजूद है। किसी कम्पनी को काली सूची में डलवाने में प्राण खतरे में आ जाना स्वाभाविक था।
जुलाई 2013
ईमानदारी का सूरज भभक गया। दो-चार नहीं, पाँच-छ वरिष्ठ अभियंताओं को दरकिनार कर मुझे पदोन्नति देकर मुख्य कार्य भार दिया गया। जाति विशेष से आक्रांत क्षेत्र को सुरक्षित करने में प्राण जोखिम में पड़ना ही था। इस सरकारी जिम्मेदारी के कारण एक राष्ट्रीय संगठन-बहु-विषयक पेशेवर निकाय के सर्वोच्च पद के लिए पंजीयन नहीं करवा रहा हूँ।
अगस्त 2015
तीन सौ करोड़ में से चुनाव लड़ रहे नेताओं को सौ करोड़ का हिस्सा चाहिए था जो मेरे रहते सम्भव नहीं था तो रातोरात मेरा तबादला पूर्व पद से भी नीचे कर दिया गया। और इस तनाव का असर मुझे मेरे मस्तिष्क आघात के रूप में मिला। एक बार नहीं दो बार।
जुलाई 2017
राम-राम करते मेरी सरकारी नौकरी से बा-ईज्जत सेवानिवृत होकर प्राण सस्ते में सांसत से भी स्वतंत्र हो गया। अब पूरा समय राष्ट्रीय संगठन को दे पाऊँगा। कई बार प्रांत शाखा के उच्च पद हेतु अधिक मत से चयनित हूँ।
जून 2022
सभी ज़िद कर रहे हैं, राष्ट्रीय संगठन के सर्वोच्च पद के लिए चुनाव लड़ लूँ! लेकिन मैं जानता हूँ कि संगठन में हो चुके लगभग पैतीस-चालीस करोड़ के घपले का निपटारा मुझसे नहीं हो सकेगा। रेल के वातानुकूलित कुप्पे में चलना जब जेब को भारी लगे, हवा में उड़ने के सपने देखना मूर्खता है।
सितम्बर 2023
राष्ट्रीय संगठन की प्रान्त शाखा के उच्च पद {लगभग चौदह साल (कोरोना की वजह से अतिरिक्त साल का मौका मिल जाने की वजह से ) के बाद} से मुक्त हो गया। अब राष्ट्रीय संगठन के युवा सदस्यों को योद्धा बनाने में ज्यादा समय लगाऊँगा।
Monday 4 September 2023
कोढ़ में खाज
"नमस्कार राष्ट्रीय संयोजक महोदय! 49897 यानी लगभग पचास हजार सदस्यों वाली आपकी संस्था अपनी 13 वीं वर्षगाँठ मना चुकी है। ५० हजार कलमकारों को एक मंच पर लाना। ७५००० किलोमीटर से अधिक की साहित्यिक यात्रा का किया जाना। उसके लिए और आज होने वाले 'एक शाम माँ के नाम' के ३०२५ वें कार्यक्रम की बधाई स्वीकार करें।"
"नमस्कार के संग आपका बहुत-बहुत धन्यवाद पत्रकार महोदय।"
"राष्ट्रीय साहित्यिक कार्यक्रम में देखा यही गया है कि श्रोता कम होते हैं। वही व्यक्ति साहित्यिक कार्यक्रम में सम्मिलित होना चाहते हैं जिन्हें रचना पाठ करने के लिए अवसर मिल सके। मंचासीन हो जाएँ तो सोने पर सुहागा। इस कार्यक्रम की ऐसी कोई विशेष बात जिसे साहित्य और समाज हित/अहित की हो साझा करना उचित हो।"
"है न! एक प्रतिभागी का औडियो में जानकारी पूछा जाना!"
"कैसी जानकारी"
"उनका कहना था कि आप के द्वारा हमें किस रूप में आमंत्रित किया जा रहा है श्रोता के रूप में या स्पर्धा प्रतिभागी के रूप में। क्या हमलोग अब प्रतिद्वंद्वी प्रतिभागी बनने के योग्य हैं या आने वाली नयी पीढ़ी के बीच स्पर्धा होनी चाहिए!
मेरे पास एक और अति आवश्यक महत्त्वपूर्ण कार्य आ गया है। आपके बताये निर्णय पर मुझे भी चयन करना होगा कि मेरे लिए ज्यादा लाभकारी कौन सा है।"
"ओह्ह्ह,उन्हें चयन करना है कौन ज्यादा लाभकारी है! ऐसे-ऐसे व्यापारी! आयोजक से ऐसी बात कर लेना बौनेपन की निशानी है। ऐसे साहित्यिक दीमक ही बढ़ रहे हैं! अफसोस के साथ विदा होते हैं कि हमारे राज्य की यात्रा में आपको ऐसे अनुभव हुए।
Wednesday 30 August 2023
खीर में नमक
"फजीरे-फजिरे काहे एतना बीख चढ़ल बा?"
"बीख त कालहे चढ़ल रहे रातवए में मेल कर देले बानी। लघुकथा के story लिखाईल बा•••,"
"चर्च में गणेश भगवान के पूजा शोभा ना दिही नु•••!ओहि तरे मंदिर में चादर/फादर ना होखे के चाहीं।अंग्रेजवा चल गईलन स बाकी ऐह लोगन के छोड़ दिहलन स, ललाटवा पे गुलामी लिकखवा ले ले बा लोग"
"मठ चाहीं सभन के एही देश में ••• लेकिन वफादारी निभाई लोग परदेश में••• चाकरी के कवनों हद नईखे! गलीयन में पटटवा भी लटकावला के काम बा।"
"लघुकथा को अंग्रेजी में भी लघुकथा ही कहा जाता है"
StoryMirror Hindi
-हमें जो प्रमाणपत्र मिला उसमें story लिखा हुआ है
-पूरा प्रमाणपत्र अंग्रेजी में है
आपलोगों के द्वारा विधा के संग लेखन का भी अपमान हो गया
-30 दिनों का समय और श्रम निरर्थक होने का अफसोस नहीं है•••
Thursday 24 August 2023
जलेबी
“पूरी दुनिया में हमारे द्वारा बनाए नीड़ के भी लाखों-करोड़ों खर्च करने वाले प्रशंसकों की भीड़ हैं और मान लो कि मेरे पंख तुमसे बेहतर हैं ही।” अबाबील चहक रही है।
“वाकई तुम्हारे पंख दिखने में मेरे पंखों से कहीं अधिक सुंदर हैं। लेकिन मेरे पंख ज्यादा बेहतर हैं क्योंकि ये हर मौसम में मेरे साथ रहते हैं और इनके कारण मौसम चाहे कैसा भी हो, मैं हमेशा उड़ पाता हूँ।"
रहिमन निज मन की विथा, मन में राखो गोय।
सुनि इठलैहैं लोग सब, बाटि न लैहै कोय।
किस भाव से ध्यान करे उलझा मरीचि तोय
जपत-जपत अवसाद में काहे न जगत होय।
महत्वपूर्ण ये नहीं है, कि वास्तविकता क्या है… बल्कि, महत्वपूर्ण ये है कि, आप अपनी बात को सही साबित करने के लिए कितने संभावित तर्क प्रस्तुत कर सकते हैं….!!
बारह मंजिला खिड़की से गिरा दी गई या नशे में गिर गई, सीढ़ी से पैर फिसला या गला दबाने के बाद फेंक दी गई, कुल्हाड़ी से या हथौड़े से मारी गयी•••!
उत्तेजक क्या रहा होगा•••! पोस्टमार्टम रिपोर्ट कौन बदल रहा•••! कैसे दुनिया जानेगी कि मनमोहना ने प्रेमी के संग मिलकर हत्या की या झूठा दहेज उत्पीड़न में आत्महत्या कर लेने हेतु उकसाया गया•••!
गले में नाग की तरह परिश्रावक/स्टेथॉस्कोप को लटकाये तहबंद/एप्रन को चढ़ाए चिकित्सकों-उपचारिकाओं और काले कोट धारक अधिवक्ताओं की हड़ताल पर बैठी भीड़ में बहस जारी है।
चिकित्सक-साहित्यकार पत्नी और उच्च पदाधिकारी- अधिवक्ता पति की लाश, समाज को मनुष्यता विमर्श के कटघरे में ला पटकी है। आगे प्रतीक्षा है न्याय क्या होता है•••!
छायाचित्र उतारनेवाले मित्र-बन्धु राजेन्द्र पुरोहित और अनिल मकरिया के संग सोशल मिडिया से आपकी खबरी विभा रानी श्रीवास्तव का नमस्कार और अब हम विदा लेते हैं!
Wednesday 23 August 2023
सूरज डूब रहा
"कहो ना! हम सुनने ही जुटे हैं। अब सोना ही तो है••"
"गज़ल बेबह्र है काफ़िया भी भगवान भरोसे है"
"चलता है!"
"दोहा में चार चरण कहना है लेकिन चार भाव नहीं है"
"चलता है!"
"मशीनगण से निकला हाइकु है। ना अनुभूति है ना दो बिम्ब है"
"चलता है!"
"लघुकथाओं में ना शीर्षक का सिर-पैर और ना शैली का ओर-छोर, भंग अलग"
"चलता है! क्यों तुम्हारा खून जल रहा और हमारा सर•••"
"कैसे पता चले साहित्य में घुन लगा कि दीमक!"
"पुरानी राह को छोड़कर आगे बढ़ने पर शून्य से शुरू करना पड़ता है। तुम भी सोचो, अथाह संचय को छोड़ना क्या सम्भव है?"
Wednesday 16 August 2023
जमात करामात
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क्या मेरी बात रानी जी से हो सकती है?
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जी! जी नमस्ते! मेरा नाम डॉ सुनील दत्त मिश्र है। मैं आपसे मिलना चाह रहा था। आपने कहा था कि हम जब कभी आपके शहर में आयें तो आपको सूचित अवश्य करें।
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पूरी पढ़ाई करने के बाद, नौकरी करने जो बच्चे विदेश चले जाते हैं उन बच्चों पर देशद्रोह का मुकदमा चलना चाहिए क्योंकि वे बच्चे समाज के ऋण को लेकर भगोड़ा हो जाते हैं। महोदया दूसरे राज्य के साहित्यिक-सांस्कृतिक मंच से ऐसी माँग को रखने वाली दिलेर माँ को कोई कैसे भूल सकता है!
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क्या फर्क पड़ा? मेरे गाँव में भी खुशियों की लहर दौड़ रही है!
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हम सब यानी मेरा भाई, बेटा, भतीजा, भगिना उस कार्यक्रम में उपस्थित थे जो दुबई के संग विदेश के अनेक राज्यों में धन उगाई करने वाले आपकी ओज से ओत-प्रोत वाणी सुनकर इतने प्रभावित हुए कि धीरे-धीरे देश वापसी कर रहे हैं! सोने पर सुहागा कि गाँव के अन्य युवा नहीं जाने का सोच रहे हैं, जबकि गाँव शहर के बच्चों में पहले होड़ मची थी•••!
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सच में! इसलिए तो मैं आपसे मिलकर आपको धन्यवाद देना चाह रहा था।
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अच्छा! अच्छा आप आ रही हैं और शहीद स्मारक (सात शहीदों की एक जीवन-आकार की मूर्ति है) के पास होने वाले कार्यक्रम में आमंत्रित कर रही हैं!
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पूछ रही हैं कि आऊँगा? सर के बल दौड़ा आऊँगा! मेरे मन के थल पर अँकुरा आपके लिए सम्मान का बीज आपके इस स्नेह के जल, पवन, किरण पाकर बने वट को और कुछ नहीं चाहिये...! जय हिन्द!
Thursday 10 August 2023
धोखा
Padam Godha :- आजकल छोटे छोटे बच्चे भी स्कूल बस से मां को फ्लांईंग किस करते हैं। समझ नहीं आता दूसरे का पति उड़ाना ज्यादा अनैतिक है या फ्लांईंग किस?
सुनीता त्यागी :- 1. दूसरे का पति कोई मिट्टी का पुतला नहीं था कि उड़ा लिया।2. संसद सदस्याएं राहुल नाम के बालक की मां नहीं थीं।
Roopal Upadhyay :- सुनीता त्यागी जी मतलब अपनी मित्र जिसने गरीबी पर दया कर के अपने घर में जगह दी उसी के पति को पटाना गलत नही और फ्लाइंग किस देना गलत वाह ये दोगुली मानसिकता ही भारत को पिछड़ा रही है। सच में शिक्षा का बहुत ज्यादा अभाव है।लोगी को इतना तो पता होना चाहिए कि comminunication में non verbal communication का एक part है gesture जिसके अंतर्गत flying kiss आता है जिसका अर्थ होता है i love you all इसमें क्या गलत है। सभी बोलते है i love you all, public figure है लोगो को प्यार करना क्या गलत है, मुझे तो समझ नही आता...
सुनीता त्यागी :- Roopal Upadhyay आदरणीय उच्च शिक्षिता जी मुझे आप को कोई सफाई नहीं देनी।
विभा रानी श्रीवास्तव :- शाबास सुनीता त्यागी जी! क्या उपमा दिया मिट्टी का पुतला! मिट्टी का पुतला नहीं था इसलिए उड़ाया जा सका...
सुनीता त्यागी :- ओहो तीर निशाने पर जाकर लगा है तभी तो अंध चमचे सफाई देने के लिये मैदान में कूद पड़े हैं। विभा रानी श्रीवास्तव जी मिट्टी का पुतला नहीं था, तो चौपाया भी नहीं होगा वो कि हांक कर ले गयी। अपनी इच्छा से ही अपनी पत्नी को छोड़कर दूसरी के पास गया होगा।
विभा रानी श्रीवास्तव :- सौ फी सदी सत्य कथन सुनीता त्यागी जी! बिलकुल सहमत हूँ आपसे। 'अपनी इच्छा से ही अपनी पत्नी को छोड़कर दूसरी के पास गया होगा।' ये 'दूसरी' आसानी से उपलब्ध जो होती है...! यह दूसरी ना जाने कितनों की दूसरी, अन्य की दूसरी, अन्यों की दूसरी होती होगी...।
सुनीता त्यागी :- विभा रानी श्रीवास्तव इस बात का राहुल के फ्लाइंग किस से क्या रिलेशन है समझ नहीं आया। राहुल को तै पहली ही नहीं मिली है दूसरी की उम्मीद छोड़ दे। वैसे वो पहली है या दूसरी ये उनका व्यक्तिगत मैटर है।
विभा रानी श्रीवास्तव :- सुनीता त्यागी जी ना तो राहुल के फ्लाईंग किस से मतलब है, राहुल को पहली नहीं मिली दूसरी की उम्मीद छोड़ दें। जिसे पहली मिली उसको छोड़ वो दूसरी से मिले। ये हमारे चिन्ता का विषय है ही नहीं। यह राजनीति गलियारा है जहाँ दिन में झगड़ते हैं तो रात में गलबहियाँ दिए दिख जायेंगे। एक दूसरे को भक्त और चम्मच कह जो अपनी-अपनी पसंद की पार्टी का समर्थन करते दिखते हैं। समय के सत्ता बदलती रहती है। काँग्रेस नहीं रहा तो कुछ वर्षों में भाजपा भी नहीं रहेगी। देश रहेगा, मुद्दे रहेंगे, समस्याएँ रहेंगी और सवाल उठाते साहित्यकार रहेंगे...!
Wednesday 9 August 2023
धर्माधिकारी
हैल्लो!
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हाँ! हाँ, सब कुशल मंगल!
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अरे•• हाँ! नहीं गया था जंगल। लम्बी कतार थी। तुम्हारा मिस्ड कॉल दिखा। तुम्हारी माँ पूछ रही है; तुम्हारे मित्र संग भेजा गया सामान, क्या तुमने चखा?
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बच्चों से दूर रहना हमारा निर्णय था यारा! जीवन सन्ध्या के वक्त और भविष्य ने हमें नहीं मारा।
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खिलखिलाती जिन्दगानी तेरी-मेरी कहानी रहनी चाहिए। अच्छी हो या बुरी, खतरे के निशान से ऊपर क्यों बहनी चाहिये!
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यहीं सभी चूक जाते हैं। क्योंकि हम मूक पाते हैं। मान लेते हैं विधि का विधान,, जबकि हो सकता है निति से निदान।
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बता ही तो रहा हूँ! बाबा अपने डगमगाते कदमों के लिए आपको सहारा लेनी चाहिए, ए टी एम से राशि निकालने गया तो गार्ड ने कहा। क्या उसे प्रिया की फाइलेरिया की लाचारी कहनी चाहिए!
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अरे नहीं! नहीं कहा। कह दिया, अभी तो पैसठ को कब्जा रहा हूँ। दूसरे पचहत्तर का सहारा बनने जा रहा हूँ।
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वृद्धश्रम वालों ने नगद राशि की माँग रखी थी। तुम्हारी माँ की ज़िद थी कि वृद्धावस्था वृद्धों के संग गुजारेंगे। पहले वृद्धाश्रम का स्वाद नहीं चखी थी। वहाँ की स्थिति देख जिद पकड़ ली वहाँ से निसंतान वृद्ध को घर लानी चाहिए।
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उसका सपना तो अब धरा का धरा नहीं रह गया। हमलोग निसंतान दम्पत्ति को घर ले आने वाले हैं। वे अनाथाश्रम में पले थे। हमारे साथ रहने से, वहाँ से मुक्त हो जाने से वृद्धाश्रम ग्रह गया।
घर्षण
"दो बार का मस्तिष्काघात और एक बार का हल्का पक्षाघात सह जाने वाला पति का शरीर गिरना सहन नहीं कर पाया। कलाई की हड्डी टूट गयी। सहानुभूति र...

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अन्य के कार्य देखकर पीड़ित होना छोड़ दिया... कुछ पल का बचत.. एक वक्त में एक कार्य तो इश्क करना आसान किया लाल घेरे में गूढ़ाक्षरों को करे हिन...
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ज्वार-भाटा "जब भी मैं तुम्हें अपने संग सैर-सपाटे, फिल्म देखने, होटल में रहने, लॉन्ग ड्राइव पर चलने के लिए कहता, तुम्हरे पास कोई न कोई ब...