कपोल की अधिकांश चेष्टाओं {विशेष— चार प्रकार की —(१) कूंचित (लज्जा के समय) (२) रोमांचित (भय के समय), (३) कंपित (क्रोध के समय), (४) क्षाम (कष्ट के समय)} का क्रमानुसार बारी-बारी से आवागमन जारी रहता है!
“यहाँ के कठोर तानाशाही या यूँ कहो गुलामी से हम आज़ाद होंगे। तुम्हारा अपना स्टार्टअप होगा। बाद में मुझे सहयोगी रख लेना। हमदोनों राज करेंगे, राज। हम बादशाह होंगे!” शान के दिखाए सब्ज़बाग में फँसकर शालिनी त्यागपत्र देने का विचार कर अपने तत्कालीन मालिक से मिलने उनके केबिन में जाती है! शालिनी के पति उच्चस्थ सरकारी पदाधिकारी थे और कार्यालय में ईमानदार अधिकारी, सहयोगियों के साथ मित्रवत व्यवहार रहता था तो सभी उन्हें अपना समझते थे। अचानक एक दिन उनकी मौत हो जाती है। अनुकम्पा के आधार पर शालिनी की नौकरी उसी कार्यालय में लग जाती है। शान उसका सहयोगी होता। शालिनी के बैंक के खाते में बहुत राशि है इसकी जानकारी उसे हो जाती। कुछ महीने के बाद वह शालिनी के करीब आने में सफल हो जाता है।
शालिनी जब अपना त्यागपत्र पदाधिकारी को सौंपती है तो पदाधिकारी के सुझाव पर त्यागपत्र नहीं देकर अवैतनिक छुट्टी पर जाने का विचार मान लेती है। पदाधिकारी उसके मन में शक का बीज रोपने में सफल रहते हैं और उसे चौकन्ना रहने की सलाह भी देते हैं। शालिनी अपने अवैतनिक छुट्टी पर जाने की बात शान से छुपा लेती है और शान की मदद से अपना स्टार्टअप शुरू करती है। उसकी दिन-रात की मेहनत और शान के साथ से उसे लगता है कि उसका जीवन सहज रूप में गुजर रहा है तो वह शान से शादी का प्रस्ताव रखती है। शान उसे कुछ दिन और प्रतीक्षा करने की बात करता है।
एक दिन वह किसी ग्राहक से मिलने उसके बुलाए स्थान पर जाती है तो कुछ दूरी पर शान को किसी अन्य महिला के साथ देखती है! वह जबतक उनके करीब पहुँचती है तब तक वे दोनों वहाँ से दूर जा चुके होते हैं। वह अपने ग्राहक से मिलकर वापस आ जाती है। कुछ दिनों के बाद उसके स्टार्टअप का उद्घाटन समारोह हो रहा होता है। प्रेस-मीडिया वाले भी उपस्थित होते हैं। सभी से शान ख़ुद को बेहतर साबित करने में लगा हुआ था। उसी व्यस्तता में एक कर्मचारी शिवानी से हस्ताक्षर लेने के लिए एक फ़ाइल प्रस्तुत करता है। शिवानी फोन पर किसी से बात करने में ख़ुद को व्यस्त दिखलाती है और कर्मचारी को किसी काम के बहाने से दूर भेज देती है तथा फ़ाइल को गौर से पढ़ने लगती है तो स्टार्टअप शान के नाम से हो जाए का दस्तावेज़ दिखलाई पड़ता है। कपोल की अधिकांश चेष्टाओं को नियंत्रित करते हुए पूरा स्टार्टअप अपने अकेले नियंत्रण में रखने का दृढ़ निश्चय करती है!
अमानत में खयानत
ReplyDeleteवंदन
किसी के दिखाये सब्जबाग पर बिना परखे सहज विश्वास करना मूर्खता ही है आज के दौर में।
ReplyDeleteसंदेशात्मक कहानी।
सस्नेह प्रणाम दी।
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २१ फरवरी २०२५ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।