Friday 19 October 2018

"शुभोत्कर्षिणी"



दिनोदिन अलगू कमजोर होता जा रहा था, बुखार उतर नहीं रहा था... वर्षों पहले उसकी पत्नी की मौत हो गई थी... चार छोटे-छोटे बच्चें... घर की स्थिति, रोज कुआँ खोदो, रोज प्यास बुझाओ... बच्चों को पढ़ाना जरूरी समझता परन्तु आर्थिक कमी के कारण पढ़ाना कठिन था... फिर भी किसी बच्चे से मजदूरी कराने के लिए तैयार नहीं था...।
        अलगू काम पर जाने के लिए घर से ज्यों निकलने लगा कि बेहोश हो गया... पड़ोसियों की मदद से चिकित्सक के घर पर लाया गया... मुआयना कर चिकित्सक दवाई-टेस्ट की सूची थमा दी... कंगाल के हितैसी भी कंगाल ही होते हैं... चिंता की लहर दौड़ने लगी... ।
       सभी उलझन में ही थे कि लाल कमल से भरी टोकरी लेकर अलगू की बेटी चिकित्सक के सामने आ खड़ी हुई...
      "इसे लेकर मैं क्या करूँगी बेटी...? यह दुर्गा माँ के लिए होता है...।"
"जानती हूँ! आप इसमें से एक लाल कमल लेकर बोहनी समझिए डॉक्टर मैडम जी और बाबा का इलाज शुरू कीजिए... मैं मजदूरी नहीं कर सकती, व्यापार तो कर सकती हूँ...!"

Wednesday 10 October 2018

नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएं


01.
विजयोत्सव-
सिंदूर की रंगोली
कुर्ते पै सजी।
02.
शुभोत्कर्षिनी-
लाल पद्म के ढ़ेर
वैद्यों के ड्योढ़ी।



भू को-जागृति(भू पर कौन जागरण में हैं- कोजागरा)
01.
रास पूर्णिमा-
चौपड़ पर जीती
साले की घड़ी।
02.
शरद पूनो-
काव्य गोष्ठी में हुआ
खाने का श्लाघा ।
03.
रास की पूनो -
माँ के हाँथों का जादू
खीर में लोप।
04.
शरद ज्योत्स्ना-
अरिपन लगाए
लट पै चाँदी।


दुर्वह

“पहले सिर्फ झाड़ू-पोछा करती थी तो महीने में दो-चार दिन नागा कर लिया करती थी। अब अधिकतर घरों में खाना बनाने का भी हो गया है तो..” सहायिका ने ...