Thursday 31 October 2013

छोटी मछली




आज एक बार फिर कल्पवास मेला से गुजरना हुआ …


लेकिन आज मेला की चर्चा नहीं , 
चर्चा करुँगी पुलिस की हरकतो का 
उनका चेहरा इस लिए नहीं दे रही कि 
इसकी मुझे इजाजत नहीं मिली ...



ये राजेंद्र पुल 
५० साल से भी ज्यादा पुराना होगा .....
करीब १० दिन से इस पर 
ट्रक के आने जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है … 
क्यूँ कि पुल कहीं कहीं कमजोर हो गया है .... 
इस पुल से ,ट्रक के द्वारा बालू का व्यापार होता था .... आने जाने की अनुमति नहीं मिलने के कारन बड़े ट्रक से एक छोर पर बालू लाया जा रहा है , वहीँ ट्रैकटर से दूसरी छोर तक ढ़ो कर फिर ट्रक पर लादने का काम हो रहा है .... जिस छोर पर बालू ट्रक द्वारा लाया जा रहा है .... वहाँ से ट्रैकटर ,जैसे पुल पर चढाने लगता है ....वहाँ तैनात पुलिस जो इसलिए खड़ी है कि भीड़ से लोगो को परेशानी नहीं हो ,पुल पर ट्रक ना चढ़े , हर ट्रैक्टर वाले से १० रुपया वसूलती हैं .... मैं आते जाते खुद अपनी आँखों से ऐसा होते देखी .... ये है छोटी मछली का कमाल .....
वो भी क्या करे दीवाली मनाने का मौका मिला है 
क्यों घर आती लक्ष्मी को ठुकराये …
इससे बालू के व्यपारी को भी फायदा है 
बालू के दाम दोगुने होंगे 
जनता का क्या 
मुर्दे पर दस मन मिटटी 
या 
सौ मन क्या फर्क पड़ता है .....
मेरी तो इच्छा दो चाटें लगानी की हुई 
…… लेकिन .......





सप्रेम भेंट






सप्रेम भेंट सभी दोस्तों के लिए 
पहली दीया मैं बनाई 
हमारे दोस्तों के जिंदगी में 
रोशनी फैलाये 
सहस्रधी सहस्र जलाये 
आप सबो के लिए
*शुभ हो दीपावली* 




तांका {५७५७७}

अकेला जल
सहस्र जलाता है
सहस्रधी है
जीयें हम जीवन
दीप जैसा सीख लें

~~

Tuesday 29 October 2013

जीवन में अवसरों की कमी नहीं होती है





*
इक कहानी
चार दीप थे दोस्त
फुसफुसाते
गप्प में मशगुल

एक की इच्छा
बड़ा बनना था
मायूस रोया
ना था वो सुन्दर
छोटा दीया था
आकर्षक नहीं था

दूजे आकांक्षा
भव्य मूर्ति बनना
शोभा बढ़ाना
अमीर घर सज्जा
ना जा सका वो
आलिशान भवन
हुआ हवन

तीजे महोत्वाकांक्षा
पैसे का प्यासा
गुल्लक तो बनता
भरा रहता
खनक सुनता वो
चांदी सोने की
न यंत्रणा सहता
आकंठ डूबा

बातें सुन रहा था
चौथा दीपक
संयमी विनम्र था
हँसता हुआ
वो आया बोला
आपको बताता हूँ
राज की बात
एक छूटा तो
 सब ना रूठा सोचो
साथ ईश का
हमें जगह मिली
 पूजा घर में
तम हराए
 उजास फैला हम
 दीपो का पर्व
सब करे खरीदारी
 दीवाली आई
क्यूँ बने हम
रोने वाला चिराग
राह दिखाने वाले

कुछ उदेश्य रख कर आगे पूरी मेहनत से उसे हासिल करने के लिए प्रयास करना उचित होता है ....
लेकिन यदि हम असफल हुए तो भाग्य को कोसने में कभी भी समझदारी नहीं है .... यदि हम एक जगह असफल हो भी जाते हैं तो और द्वार खुला मिलता है .... जीवन में अवसरों की कमी नहीं होती है  समझो

हमेशा नहीं होता
चिराग तले अँधेरा ....
अँधेरे का रोना ,
रोना बंद ....






Monday 28 October 2013

माहिया




1

खेले आँख मिचौली
गिरि पवन रवि मगन 
चीड चिनार बिचौली।

~~

2

सुख दुख सांझा दीपक 
सन्तुलित दिया जीवन 
ना लगने दे दीमक। 

~~

3

मुमुक्षित कली हुलसी 
है वहशी झपटा 
वो खिल न सकी झुलसी। 

~~



4

गाये संझा-प्राती
हैं जीवन साथी
जैसे दीया बाती

{ शादी-शुदा जिंदगी के 
शुरू के दिनों में 
एक दुसरे का साथ बहुत आनंद देता है 

गाते है 
हम बने तुम बने 
एक दूजे के लिए 

फिर बीच के कुछ साल 
रिश्तेदारों की चीक चीक 
बच्चो का चिल-पों 

गाने पर मजबूर कर देता है 

[भूल गया राग रंग ,भूल गया चौकड़ी 
याद रह गया नून ताल लकड़ी ]

और

अंतिम पडाव के दिनों में
फिर गाते हैं 
जन्म जन्म का साथ है 
मिलते रहेंगे सातो जन्म 

और

शाम और सूर्योदय के पहले
अंधेरों से लड़ने के लिए
दिया बाती 

जीवन साथी = दिया बाती }

~~

5

ये रिश्ते ठहरे से
देकर घाव गये
उम्र भरे गहरे से

~~

6

है कडवी सच्चाई
स्वार्थी परिभावी
खो देता अच्छाई

~~

7

एक पहेली




गोरी रूप निखारे
सेहत संवारे
भगवान-पग पखारे

~~




Sunday 27 October 2013

छरियाना




छरियाना का अर्थ हुआ मचल जाना

महालया के दिन से पूरा दस दिन ,दशहरा तक ,माँ ,सब भाई बहन को तलुआ और नाभि में काजल का टीका कर देती थीं …. हर साल …. पूछने पर बताती थीं कि कल से दशई शुरू हो रहा है …. ये जादू टोना से रक्षा करेगा …. दशई में डायन ,जादू टोना करती है और नई डायन बनने का अवसर भी होता है .....  मेरे गांव के दुर्गा जी के मंदिर में मंगलवार और रविवार की रात को {अझौती उझौती} झाड़-फूंक  होता है …. भुत-पिचास को भगाने के लिए  ….
बिहार के न्यूज -पेपर में रोज एक खबर रहती है कि डायन बता कर ,नंगा कर पुरे गांव में घुमाया गया  …. मैला पिलाया गया ….
मेरी सासु जी को जादू टोना पर पूरा विश्वास था …. वे बताती थीं कि  डायन होती है .... जो जादू टोना करती  है …. वो ही बताई थीं कि मेरे ससुराल में एक और ससुर जी के नौकरी के दौरान एक ,दो डायन से उनकी मुलाक़ात हुई है ,जिसका अनुभव वे बताती थीं ….
उनका ही बताया किस्सा है ….
उनके पड़ोस में डायन रहती थी ,जो जादू-टोना करती  थी ….डायन का जादू टोना करने का  तरीका था ,खाने के चीजो का इस्तेमाल करना .... जो बच्चो को प्रभावित करता था .... जब मेरे छोटे वाले देवर ४-६ महीने के रहे होंगे …. एक दिन वो रोना शुरू किये …. रोते गए ,रोते गए …. कोई उपाय काम नहीं कर रहा था …. रोने के  कारण लग रहा था कि अब उनकी साँस टूटी … आज वे नहीं जिन्दा रह सकेंगे …. दोपहर से शाम ,शाम से रात हो गई ….  देवर जी चुप होने का नाम ही नहीं ले रहे थे …. ना कुछ खाना …. ना कुछ पीना …. बच्चे की रोने की आवाज सुन आस पास के लोग जुट गए …. भीड़ में से ही कोई बोला कि हम सब आ गए …. आपकी पड़ोसन नहीं आई है , जो इतनी पास है …. तब मेरी सासु जी को याद आया कि दोपहर में पड़ोसन के घर से कुछ खाने की चीज आई थी .... जो आदतन वे खाई थी {वे सबसे पहले खा लेती थी कि जादू का असर बच्चो पर ना हो …. कही से कुछ भी आता था तो  … ये आदत उनकी अंत तक रही} उस समय देवर जी ,उनका दूध पी रहे थे …. सासु जी का माथा ठनका .… वे अपने आँगन से ही पड़ोसन को पुकारी और बोली कि आप मेरे घर आइये ….
पड़ोसन :- इतनी रात को , मैं आपके घर क्यूँ आऊं  ….
सासू जी :-  मेरा बेटा को देखिये ना …. रोये जा रहा है .…
पड़ोसन :- तो उसमें मैं क्या कर सकती हूँ …. अब तो मैं सोने जा रही हूँ ....
सासू जी :- आप कुछ देर के लिए आइये ….
सासू जी बुलाती रही …. पड़ोसन इन्कार करती रही ….
सासु जी का धैर्य कमजोर हो चूका था ,टूट गया …. वे चिल्ला पड़ी … आज आपके घर से खाने का सामान आया था ,जिसके कारण मेरे बेटे की ये हालत हुई है …. वो तो नहीं बचेगा … अगर आप अपना जादू नहीं वापस करती हैं तो …. मैं तो बेटा खो दूंगी …. लेकिन कल आप को भी , मैं जिन्दा नहीं रहने दूंगी …. पुरे समाज के सामने ये बहस हो रही थी …. उस पड़ोसन को बे मन से आना पडा …. आते ही वे बोली मेरे सासू जी से कि हाँथ में तेल लगा कर पीठ ससार दो …. पीठ पर सासू जी का तेल लगा हथेली लगते ही देवर जी एक दम से चुप हो गए और सबके सांस में सांस आई …. और साबित हो गया कि वो पड़ोसन डायन थी ….

जब मैं गर्भवती हुई और जब तक राहुल{मेरा बेटा} छ महीने का नहीं हो गया ,मुझे कोई परेशानी नहीं हुई …. उन दौरान मैं सोचती ,कि ……
कैसे
किसी को उलटी होता होगा ….
खाने की इच्छा नहीं होती होगी ….
किसी चीज का गंध परेशान करता होगा ....
उपर्युक्त बाते मेरे साथ होती तो ….
रईसी जिंदगी गुजराती ना (*_*)
नाज़ नखरे लोग उठाते
डॉ से दिखलाया जाता
अल्ट्रा साउंड होता सी डी बनता
गोल्डन मेमोरी होता ना (*_*)
खैर
ऐसा कुछ नहीं होना था न हुआ ....
नौ महीने समय गुजरा …. बिना लेबर पेन का नार्मल डिलीवरी से बेटा भी पैदा हो गया .....
वो भी ऐसा कि ना जागता और ना रोता
उसे सोये में तेल लगाना ,नहलाना हो जाता था …. कान मल मल कर दूध पिलाना होता था ,क्यूँ कि कान दर्द से मुंह खोल देता था ....
दिन भी चैन से गुजरता और रात भी सुकून से गुजर जाता .....
रोता जागता तो घर के कामों से भी मुक्ति मिलती और लोगों से सहानुभूति कि बच्चा से बहुत परेशान है ..... बेचारी ,कुछ रहम किया जाए ….
या
बच्चे को सुलाने के बहाने जच्चा भी सो जाए ….
सोये को क्या सुलाना .....
लेकिन। …. लेकिन। …। लेकिन। ….
एक दिन मेरे घर कोई आया और बोल दिया कि ….
बहुत प्यारा बच्चा है ....
ये तो सोता ही रहता है ....
कोई परेशानी नहीं होगी आप लोगो को ….
राहुल उस समय छ महीने का था .…
उस बात को कुछ घंटे बीते हुआ होगा कि
राहुल जगा और रोना शुरू किया …. रोता गया ....  रोता गया ….
सात दिन - रात रोता रहा …. पूरा घर परेशान ….
मेरी सासू जी को जो समझ में आता उपाय कराती रहीं ….
कभी किसी पंडित को बुला पूजा पाठ .....
कोई बता देता तो मौला से ताबीज ....
कोई बता देता तो मजार से भभूत ....
सरसों मिर्चा से नज़र उतार कर गोयठे के आग पर जला कर उसका धुआँ  ....
उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़
उपाय होता रहा आखिर सातवें दिन राहुल को नींद और सबको चैन मिला ….
फिर वही रफ्तार से जिंदगी चलने लगी ....
लेकिन जिस आदमी का टोक लगा था , उस आदमी पर शक करना , तौबा , सब के लिए पाप गुनाह होता ….
जब राहुल १० महीने का हुआ ..... फिर बीमार रहने लगा जो करीब १६-१७ साल तक झेलाता रहा ….
उन दौरान भी ओझा पंडित का चक्कर लगा …. श्मशान से पका लिट्टी …. होलिका पर से पका लिट्टी …. झाड़ -फूंक ….
मुझे बस यही समझ में आया कि बीमारी बस बिमारी .…
भोजपुरी में एक शब्द है छरियाना  ….
जो किसी बच्चे में कभी भी हो जाता है …।
छरियाना जादू -टोना से नहीं होता है ……।
______________________________ क्रमश:


१० महीने ४ दिन का था 
उसी दिन 
दिन में फोटो खिचाया था 
और 
शाम में बीमार पडा था 

Saturday 26 October 2013

चुकिया कुल्हिया




*तांका [५७५७७]*

सुख दुख है
संयमित जीवन
उजास हिया
लगे नहीं दीमक
होता सांझा दीपक

~~

*हाइकु [५७५]*

1

सन्देश मिले
प्रेम की प्रकाष्ठा
फतिंगा जले ।

2

खील बताशा
उमंग है बढाता
चुकिया भर।

~~




*चोका [५७५७५७५७  ..... ५७७ ]*

बड़ी खुशियाँ
तलाशते रोते हैं
छोटी खुशियाँ
मुझे बस लौटा दो ....................................
कहाँ खौलता
  नदिया में दूध है
सोंधा महक
खो गया दही से है
 मिट्टी का मोल
कौन तौल सका है
लू का मौसम
घड़े का ठंढा पानी
कुल्हड़ ढोता
पात में भोजन हो
मिट्टी खिलौने
जांता चूल्हा चुकिया
भरती खील
सजाती थी घरौंदा
छोटी खुशिया
बचपन छुटा है
चाक जिंदा है
कुम्हार वजूद है 
 बढ़ी दूरियाँ
फैशन बदला है
अपने बदले हैं


खील [ भुना हुआ चावल ]








Friday 25 October 2013

चलो चलो चलो चलो चलो




चलो वादा रहा
आँचल सामने है 
उतारो देखें 
कितना भर 
सकता है 
थक ना जाना 
थकना मना होता 
शीत युद्ध शौक है ना। 

~~

चलो आजमा लो 
कौन टूट कर
बिखरता है 
बिखरने वाला ही 
जीतता है क्यूँ कि 
उस हद तक 
वही लड़ सकता है 

~~

चलो झांको अंतःकरण
परीक्षा देने वाला
रम जाता है
उत्तर ढूंढ़ ने में
कहाँ फुर्सत होती
सोचने में समय गवां दे
क्या गलत किया
क्या सही किया
बदला ना लेने वाला
बहादुर होता है

~~

चलो सोचा जाए
क्या खोये ,क्या पाए
कौन किसके पीछे
कैसा समय गंवा दिया
सत्ता ना मानने वाला
अपने कर्म पर ध्यान दिया
अपने पर अपने पर
छोटी-छोटी बातों पर
उसने अपनी
प्रसन्नता के खजाना
लुटने नहीं दिया

~~




Tuesday 22 October 2013

एक प्रयास सेदोका का






*तांका [५७५७७]*

शशि बताना
किस धर्म का मानू
दूज चौथ को
ख़ुशी उजास देते
हो इन्सान बनाते

~~

सेदोका [५७७५७७]

निशा श्रृंगार
चंदा प्यार छलके
सतीसत्व  महके
शशि मुखरा
बदली घेर गया
भार्या दिल दहके

~~

चोका [५७५७५७५७५७५७ ...५७७ ].

राहगीर था
राह बढ़ता गया
कुआँ में झाँका
था मनोरोगी सोचा
सुधांशु डूबा
डाले रस्सी में फंसा
चट्टान भारी
जोरा-जोरी में गिरा
नजरें उठा
 सिर चोट मिटाया
शशांक मिला
नभ में चमकता
नज़र आया
चिल्लाया बचा लिया
ख़ुशी से झूमा नाचा

~~


Monday 21 October 2013

माहिया



माहिया सीखने की कोशिश

https://www.facebook.com/groups/175294479327042/

इसमें गुरु हैं

https://www.facebook.com/hrita.sm?fref=ts

और

https://www.facebook.com/swati.evergreen.3
.....

सावन न वफ़ा की है
सौगातें क्या दूँ
पतझड़ न जफ़ा की है

1

आंसू की है आहट 
चाह रही पाना
इक कठिन मुसकुराहट 

2

साकार हुआ सपना
 दुल्हन आई घर 
गुलजार हुआ अपना

3

प्यार धर्म की हारी
 पीढ़ी बुजुर्ग की
 होती रोवनहारी

4

भार्या दुख खिलता है
निकर्मा पथ देखे
किस्मत से मिलता है

5


कार्तिक है जब आता
चन्दा का महत्व
सखियों में बढ़ जाता 

6

बाहर का दिखता है
देख सके कोई
मन में जो सिकता है

7
~~

Thursday 17 October 2013

कल्पवास मेला






सिमरिया गंगा तट पर लगने वाला 
विश्व प्रसिद्द राजकीय कल्पवास मेला आज से शुरू हुआ ....
धार्मिक कुंभ मेले को दुनिया में आस्था के सबसे बड़े आयोजन के रूप में देखा जाता है ....
अगर देखें तो वैदिक साहित्य में देश में 
चार स्थानों पर कुंभ के आयोजन की बात कही गई है ....
प्रयाग (इलाहाबाद) , हरिद्वार , उज्‍जैन और नासिक . 
यह तो सबको पता है कि इन स्थानों पर नियमित अंतराल में कुंभ का आयोजन होता है ..... 
एक अन्य तर्क यह भी दिया जाता है कि 
वैदिक काल में देश के 12 स्थानों पर कुंभ लगता था .....
लेकिन अब इनमें से 4 स्थानों में ही कुंभ आयोजित हो रहे हैं .... 
इसी तरह बिहार के बेगूसराय जिले के सिमरिया में आयोजित अर्द्ध कुंभ को ,
लुप्त हो चुके 8 कुंभ पर्वों को फिर से पुनर्स्थापित करने की शुरुआत बताया जा रहा है ...
''किसी भी धार्मिक ग्रंथ में इस बात का उल्लेख नहीं है कि
 कुंभ मेला सिमरिया घाट पर हुआ करता था ''….
 यह मेला आज से शुरू होकर १७ नवम्बर तक चलेगा .…
१८ अक्तूबर को ध्वजारोहण के साथ कार्तिक स्नान आरम्भ हो जाएगा ....
२३ अक्तूबर को प्रथम परिक्रमा सुबह आठ  बजे आयोजित है …. 
द्वितीय परिक्रमा १ नवम्बर और तृतीय परिक्रमा १३ नवम्बर को आयोजित किया जाएगा ……
२२ अक्टूबर से ही सिद्धाश्रम में पार्थिव पूजन कार्य क्रम भी शुरू किया जाएगा ....  
१ नवम्बर को धन्वन्तरि जयंती .… २ नवम्बर को हनुमंत जयंती ....
३ नवम्बर को माँ लक्ष्मी पूजन .... ४ नवम्बर को गोवर्द्धन पूजा तथा 
महाकवि कालिदास जयंती १३ से १५ तक त्रिद्विसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी .....
१५ नवम्बर को महा कवि विद्यापति स्मृति दिवस मनाया जाएगा तथा 
इसी दिन महारुद्राभिषेक का कार्यक्रम भी आयोजित है …. 
१६ नवम्बर  को गंगा का पूजन तथा 
वृहद दीप दान के बाद १७ नवम्बर को 
ध्वज का विसर्जन किया जाएगा ....
जानकारी अनुसार मेला में खालासाधारी संत व 
महंत और महामंडलेश्वर का पदार्पण हो चुका है ....


Tuesday 15 October 2013

ख्याल रखें .... इसलिए ना कहना सीखें .....



नौकरी करी तो ना ,ना करी
ना करी तो नौकरी ना करी

कहने सुनाने में बहुत आसान है
लेकिन
कभी कभी बहुत महँगा हो सकता है .....
सब ख्याल रखें .....
हमारे एक बहुत करीबी ,कई दिनों से सरकारी कार्य से टूर पर थे ….
कल लौटे और कल ही शाम ६ बजे से आज सुबह ८ बजे तक ऑफिस में काम किये ….
फिर ऑफिस से घर आये और घर आते ही उनकी मौत हो गई ….
उन्हें पहले से हार्ट प्रॉब्लम पहले से था ….
 तूफानी  हवा - बारिश और
थकान तथा वर्क प्रेशर या
मानसिक दबाब या
सब का मिला जुला असर उनकी जान ले गई ….
वे तो मुक्त हो गए ....
पीछे छोड़ गए अपनी पत्नी को ....
इस बेदर्द समाज में ….
जहां कोई किसी की नहीं सुनता…
 समझना तो दूर की बात है ….
इसलिए ना कहना सीखें ....

Sunday 13 October 2013

दशहरा = दस हारा


ब्लॉग अपनी अनुभूति की अभिव्यक्ति के लिए एक डायरी  ....
आज दो साल हो गए ब्लॉग जगत में आये हुए .…

सुखद संजोग है कि आज विजया दशमी है .....

आप सभी को विजया दशमी की हार्दिक शुभकामनायें  .....



त्वमेव सर्वजननी मूलप्रकृतिरीश्वरी !
त्वमेवाद्दा सृष्टिविधां स्वेच्छया त्रिगुणात्मिका !!

लंबी आयु दे
लक्ष्मी- ब्रह्माणी कृपा
बरकत दे

दशहरा
दस हारा

चरित्र शुद्धि
जीतें दस इन्द्रियां
दशई मने

हमारा दशहरा तो नेपाल की दशई ….
दशई तो हमारे गावँ में भी बोला जाता है
इन दस दिनों को लेकिन
वो जादू टोना डायन के लिए प्रयोग्य होता है ....
बात एक ही है ,लेकिन जहां हम नवरात्र औ दशहरा महापर्व की तरह मनाते हैं तो नेपाल में यह राष्ट्रीय पर्व की तरह मनाया जाता है ….
काठमांडू में तलेजु भवानी मंदिर में अनोखी परम्परा है …. इस मंदिर का कपाट पूरे साल में एक दिन केवल दशमी को ही खुलता है और मध्य रात्रि में १०८ पशुओं की बलि चढ़ायी जाती है ….

इस ब्लॉग को जब बनाई थी तो समय काटने का माध्यम था लेकिन आज समय ही नहीं बचता …. पहले से ही सब  जानते हैं कि मैं ना तो लेखिका हूँ और ना कवियत्री हूँ , तो मुझ से न किसी को स्पर्धा हुई और ना मुझे किसी से कोई  रश्क ....ब्लॉग के माध्यम से बहुत से लोगो को जानने का मौका मिला …. बहुत सारे रिश्ते मिले…. किसी एक का नाम लूँ तो किसी एक का छुट जाने का डर रहेगा .... ये नाइंसाफी होगी ….
सभी का तहे दिल से शुक्रिया और आभार  .....

बहुत कुछ सिखने को मिला ..... जैसे हाइकू ....

दिन ढलते
क्षितिज दे दिखाई
सुख के पल

जीवन शिक्षा
ले परीक्षा जिंदगी
जीवट दीक्षा

आज में जीती    Today, life in
हूँ तनाव रहित    'll Relax or Am Stress-free
आज को जीती     In today won
(*_*)

श्रवन सीखो 
ना श्रोता, हो श्रावक 
भीतर मौन 




महँगी होती 
रखो संभाल कर 
आधी आबादी

दर्द का दर्द 
गर्भनाल खिचता 
अपनी ओर

लीजिये मैं तो L K G का साल पूरा कर ली …. फेल की या पास ?
ये आप ही निर्णय करेंगे न ….  नामांकन U K G में तो ले ही लेती हूँ .....

Wednesday 9 October 2013

Aspirin





कब क्या हो जाये कहना मुश्किल ......


एस्प्रिन एक ऐसी दवा जो सिर दर्द में भी ली जाती है और अगर  symptoms evaluation, cardiologists recommend TMT  में report possitive आए तो डॉ मरीज को Aspirin लेने के लिए मशवरा देते हैं .....

2002 में मेरे भैया , अपना bp high होने पर , TMT करवाये तो उनका report possitive आया .....
तो जिस डॉ को दिखला रहे थे वे उन्हे एस्प्रिन लेने का सलाह दिये और डॉ के सलाह के अनुसार भैया एस्प्रिन लेने लगे .....

समय समय पर भैया का स्थांतरण होता रहा ..... डॉ बदलते रहे .... लेकिन किसी ने यह नहीं बताया कि एस्प्रिन हानिकारक हो सकता है .....
एस्प्रिन का काम है खून को पतला रखना ....
लेकिन भैया के केस में एस्प्रिन खून को इतना पतला कर दिया कि उनके शरीर से मलद्वार से बहने लगा और उन्हे मौत के कगार पर पहुंचा दिया .....

ब्लॉग पर बताने का ध्येय यह है कि अगर और कोई एस्प्रिन ले रहा हो तो वो सचेत हो जाये .....



Sunday 6 October 2013

उपर वाला संतुलित जीवन देता है


02 - 10 - 2013 to 08 - 10 - 2013

अभी देने का सप्ताह चल रहा है 
सच्चा दान वही 
जो किसी को 
आत्म-विश्वास से परिपूर्ण कर दे

पिछला पोस्ट क्रमश: लिखी तो दिमाग में यह था कि 
बरौनी पहुँच कर शिमला से सम्बंधित ही पोस्ट बनाना है …. 

बताना था आप सबों को 







सुनी देवदार से सरगोशी करते चीर को 
देखी सर्प सी बलखाती सड़क को 
मिली गलबहियाँ डाले मेघ और गिरि को 
इसमें क्या खास बात है ? ऐसा हर पहाड़ी पर होता है 
अरे नहीं 
हर पहाड़ी की कुछ तो अलग विशेषताएं तो होती ही है 


लेकिन ज्यूँ ही
 दिल्ली (01-010-2013) हवाई अड्डा पहुंची 
खबर मिला कि भैया T M H में भर्ती हैं 
दिल्ली से 3 बजे पटना 
पटना से बरौनी 7:30 बजे 

बरौनी से 9:30 बजे से चल कर 
सुबह 9:30 T M H (02-10-2013)


अपने हिस्से का दर्द 
किसी से भी नहीं 
बांटा जा सकता

T M H
Tamaachaa Maar Hos pitalas

TMH को तमाचा मार होस पिटलस 
इस लिए बोली कि वहाँ ये व्यवस्था है कि 
अगर आपके पास समय नहीं है  कि 
आप अपने बीमार सदस्य की देख भाल कर सके तो 
200Rs प्रतिदिन देने पर किराए पर आदमी मिल सकता है ...

अपनों बीच 
बुढ़ापा दुखी ,प्यासा 
जल में सीप 

सीप केवल जैविक रत्न मोती ही नहीं बनाता , 
बल्कि एक दिन में लगभग 15 गैलन पानी भी शुद्ध कर देता है …… 
अकेले रह जाने वाले बीमार आदमी की 
कातर निगाहें झेल पाना ज्यादा आसान है ना ?

है न तमाचा ?
समाज पर लागे 
फर्क क्या पड़े 

वहीं एक रोज ,एक वृद्ध की मृत्यु के समय पूरे परिवार का 
विलख-विलख कर रोना पूरे अस्पताल को रुला दिया .... 
पूरा परिवार सेवा में लगा हुआ था ....

जीने के लिए 
जरूरी कुछ नहीं 
जीना जरूरी 

वहाँ से कल लौटी तो पता चला कि 
मेरे पति की गाड़ी दुर्घटना हुई है 
उनके सर में आगे के सीट से चोट है थोडा 
बाकी सब सही सलामत हैं 

शक्ति आसक्ति 
नास्तिक है आसक्ति 
आसक्त शक्ति 

उपर वाला संतुलित जीवन देता है

खिलखिलाते हुये आंखो में अश्क होता है
इसलिए किसी से भी नहीं रश्क होता है

~~~~ 





दुर्वह

“पहले सिर्फ झाड़ू-पोछा करती थी तो महीने में दो-चार दिन नागा कर लिया करती थी। अब अधिकतर घरों में खाना बनाने का भी हो गया है तो..” सहायिका ने ...