*तांका [५७५७७]*
सुख दुख है
संयमित जीवन
उजास हिया
लगे नहीं दीमक
होता सांझा दीपक
~~
*हाइकु [५७५]*
1
सन्देश मिले
प्रेम की प्रकाष्ठा
फतिंगा जले ।
2
खील बताशा
उमंग है बढाता
चुकिया भर।
2
खील बताशा
उमंग है बढाता
चुकिया भर।
~~
*चोका [५७५७५७५७ ..... ५७७ ]*
बड़ी खुशियाँ
तलाशते रोते हैं
छोटी खुशियाँ
मुझे बस लौटा दो ....................................
कहाँ खौलता
नदिया में दूध है
सोंधा महक
खो गया दही से है
मिट्टी का मोल
कौन तौल सका है
लू का मौसम
घड़े का ठंढा पानी
कुल्हड़ ढोता
पात में भोजन हो
मिट्टी खिलौने
जांता चूल्हा चुकिया
भरती खील
सजाती थी घरौंदा
छोटी खुशिया
बचपन छुटा है
चाक जिंदा है
कुम्हार वजूद है
बढ़ी दूरियाँ
फैशन बदला है
अपने बदले हैं
खील [ भुना हुआ चावल ]
रचना भी प्यारी और दीया और बताशा की यादें भी प्यारी.
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति !
ReplyDeleteप्यार भरी कोमल रचना..
ReplyDeletechauthe kandhe ki talash ...man ko chu liya
ReplyDeleteshukriya
Deletehar kisi ko
alag alag talaash
hoti hai naa .....
सादर प्रणाम |
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर शब्द समन्वयन
sundar pic hai didi.....sahi kaha bahut antar aa gaya hai
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया कि आपको पसंद आई और आभार
ReplyDeleteमन को छूती हुई सुंदर अनुभूति
ReplyDeleteदिवाली की मिठाई,हर्षोल्लास,अपनापन सबकुछ है इस हाइकु में
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर
ReplyDeleteबड़ा सुंदर ब्लॉग , सुंदर लेखनी !!
ReplyDeletebahut badhiya
ReplyDeleteहाइकू ,ताकां,चोका ,सभी सुन्दर हैं !
ReplyDeleteनई पोस्ट सपना और मैं (नायिका )
बहुत सुंदर
ReplyDeleteबेहतरीन और लाजवाब ।
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