Saturday, 26 October 2013

चुकिया कुल्हिया




*तांका [५७५७७]*

सुख दुख है
संयमित जीवन
उजास हिया
लगे नहीं दीमक
होता सांझा दीपक

~~

*हाइकु [५७५]*

1

सन्देश मिले
प्रेम की प्रकाष्ठा
फतिंगा जले ।

2

खील बताशा
उमंग है बढाता
चुकिया भर।

~~




*चोका [५७५७५७५७  ..... ५७७ ]*

बड़ी खुशियाँ
तलाशते रोते हैं
छोटी खुशियाँ
मुझे बस लौटा दो ....................................
कहाँ खौलता
  नदिया में दूध है
सोंधा महक
खो गया दही से है
 मिट्टी का मोल
कौन तौल सका है
लू का मौसम
घड़े का ठंढा पानी
कुल्हड़ ढोता
पात में भोजन हो
मिट्टी खिलौने
जांता चूल्हा चुकिया
भरती खील
सजाती थी घरौंदा
छोटी खुशिया
बचपन छुटा है
चाक जिंदा है
कुम्हार वजूद है 
 बढ़ी दूरियाँ
फैशन बदला है
अपने बदले हैं


खील [ भुना हुआ चावल ]








16 comments:

  1. रचना भी प्यारी और दीया और बताशा की यादें भी प्यारी.

    ReplyDelete
  2. प्यार भरी कोमल रचना..

    ReplyDelete
  3. chauthe kandhe ki talash ...man ko chu liya

    ReplyDelete
  4. सादर प्रणाम |
    बहुत ही सुंदर शब्द समन्वयन

    ReplyDelete
  5. sundar pic hai didi.....sahi kaha bahut antar aa gaya hai

    ReplyDelete
  6. बहुत बहुत शुक्रिया कि आपको पसंद आई और आभार

    ReplyDelete
  7. मन को छूती हुई सुंदर अनुभूति

    ReplyDelete
  8. दिवाली की मिठाई,हर्षोल्लास,अपनापन सबकुछ है इस हाइकु में

    ReplyDelete
  9. बहुत ही सुंदर

    ReplyDelete
  10. बड़ा सुंदर ब्लॉग , सुंदर लेखनी !!

    ReplyDelete
  11. हाइकू ,ताकां,चोका ,सभी सुन्दर हैं !
    नई पोस्ट सपना और मैं (नायिका )

    ReplyDelete
  12. बेहतरीन और लाजवाब ।

    ReplyDelete

आपको कैसा लगा ... यह तो आप ही बताएगें .... !!
आपके आलोचना की बेहद जरुरत है.... ! निसंकोच लिखिए.... !!

प्रघटना

“इस माह का भी आख़री रविवार और हमारे इस बार के परदेश प्रवास के लिए भी आख़री रविवार, कवयित्री ने प्रस्ताव रखा है, उस दिन हमलोग एक आयोजन में चल...