Monday, 28 October 2013

माहिया




1

खेले आँख मिचौली
गिरि पवन रवि मगन 
चीड चिनार बिचौली।

~~

2

सुख दुख सांझा दीपक 
सन्तुलित दिया जीवन 
ना लगने दे दीमक। 

~~

3

मुमुक्षित कली हुलसी 
है वहशी झपटा 
वो खिल न सकी झुलसी। 

~~



4

गाये संझा-प्राती
हैं जीवन साथी
जैसे दीया बाती

{ शादी-शुदा जिंदगी के 
शुरू के दिनों में 
एक दुसरे का साथ बहुत आनंद देता है 

गाते है 
हम बने तुम बने 
एक दूजे के लिए 

फिर बीच के कुछ साल 
रिश्तेदारों की चीक चीक 
बच्चो का चिल-पों 

गाने पर मजबूर कर देता है 

[भूल गया राग रंग ,भूल गया चौकड़ी 
याद रह गया नून ताल लकड़ी ]

और

अंतिम पडाव के दिनों में
फिर गाते हैं 
जन्म जन्म का साथ है 
मिलते रहेंगे सातो जन्म 

और

शाम और सूर्योदय के पहले
अंधेरों से लड़ने के लिए
दिया बाती 

जीवन साथी = दिया बाती }

~~

5

ये रिश्ते ठहरे से
देकर घाव गये
उम्र भरे गहरे से

~~

6

है कडवी सच्चाई
स्वार्थी परिभावी
खो देता अच्छाई

~~

7

एक पहेली




गोरी रूप निखारे
सेहत संवारे
भगवान-पग पखारे

~~




12 comments:

  1. प्रकृति के सुन्दर पदचाप..

    ReplyDelete
  2. सुप्रभात चाची जी|....
    खेले आँख मिचौली
    गिरि पवन रवि मगन
    चीड चिनार बिचौली।
    सुंदर प्राकृतिक चित्रों के साथ "माहिया " की सुंदर प्रस्तुति |

    ReplyDelete
  3. शुक्रिया और आभार
    हार्दिक शुभकामनायें

    ReplyDelete
  4. बहुत ही बढ़िया आंटी


    सादर

    ReplyDelete
  5. जीवन के प्रत्येक छण को व्यक्त करती सुन्दर प्रस्तुति....
    :-)

    ReplyDelete
  6. है कडवी सच्चाई
    स्वार्थी परिभावी
    खो देता अच्छाई,,,

    भावपूर्ण सुंदर प्रस्तुति ,,,

    RECENT POST -: तुलसी बिन सून लगे अंगना

    ReplyDelete
  7. वाह सुन्दर चित्र और शब्द दोनों ही |

    ReplyDelete

आपको कैसा लगा ... यह तो आप ही बताएगें .... !!
आपके आलोचना की बेहद जरुरत है.... ! निसंकोच लिखिए.... !!

प्रघटना

“इस माह का भी आख़री रविवार और हमारे इस बार के परदेश प्रवास के लिए भी आख़री रविवार, कवयित्री ने प्रस्ताव रखा है, उस दिन हमलोग एक आयोजन में चल...