छरियाना का अर्थ हुआ मचल जाना
बिहार के न्यूज -पेपर में रोज एक खबर रहती है कि डायन बता कर ,नंगा कर पुरे गांव में घुमाया गया …. मैला पिलाया गया ….
मेरी सासु जी को जादू टोना पर पूरा विश्वास था …. वे बताती थीं कि डायन होती है .... जो जादू टोना करती है …. वो ही बताई थीं कि मेरे ससुराल में एक और ससुर जी के नौकरी के दौरान एक ,दो डायन से उनकी मुलाक़ात हुई है ,जिसका अनुभव वे बताती थीं ….
उनका ही बताया किस्सा है ….
उनके पड़ोस में डायन रहती थी ,जो जादू-टोना करती थी ….डायन का जादू टोना करने का तरीका था ,खाने के चीजो का इस्तेमाल करना .... जो बच्चो को प्रभावित करता था .... जब मेरे छोटे वाले देवर ४-६ महीने के रहे होंगे …. एक दिन वो रोना शुरू किये …. रोते गए ,रोते गए …. कोई उपाय काम नहीं कर रहा था …. रोने के कारण लग रहा था कि अब उनकी साँस टूटी … आज वे नहीं जिन्दा रह सकेंगे …. दोपहर से शाम ,शाम से रात हो गई …. देवर जी चुप होने का नाम ही नहीं ले रहे थे …. ना कुछ खाना …. ना कुछ पीना …. बच्चे की रोने की आवाज सुन आस पास के लोग जुट गए …. भीड़ में से ही कोई बोला कि हम सब आ गए …. आपकी पड़ोसन नहीं आई है , जो इतनी पास है …. तब मेरी सासु जी को याद आया कि दोपहर में पड़ोसन के घर से कुछ खाने की चीज आई थी .... जो आदतन वे खाई थी {वे सबसे पहले खा लेती थी कि जादू का असर बच्चो पर ना हो …. कही से कुछ भी आता था तो … ये आदत उनकी अंत तक रही} उस समय देवर जी ,उनका दूध पी रहे थे …. सासु जी का माथा ठनका .… वे अपने आँगन से ही पड़ोसन को पुकारी और बोली कि आप मेरे घर आइये ….
पड़ोसन :- इतनी रात को , मैं आपके घर क्यूँ आऊं ….
सासू जी :- मेरा बेटा को देखिये ना …. रोये जा रहा है .…
पड़ोसन :- तो उसमें मैं क्या कर सकती हूँ …. अब तो मैं सोने जा रही हूँ ....
सासू जी :- आप कुछ देर के लिए आइये ….
सासू जी बुलाती रही …. पड़ोसन इन्कार करती रही ….
सासु जी का धैर्य कमजोर हो चूका था ,टूट गया …. वे चिल्ला पड़ी … आज आपके घर से खाने का सामान आया था ,जिसके कारण मेरे बेटे की ये हालत हुई है …. वो तो नहीं बचेगा … अगर आप अपना जादू नहीं वापस करती हैं तो …. मैं तो बेटा खो दूंगी …. लेकिन कल आप को भी , मैं जिन्दा नहीं रहने दूंगी …. पुरे समाज के सामने ये बहस हो रही थी …. उस पड़ोसन को बे मन से आना पडा …. आते ही वे बोली मेरे सासू जी से कि हाँथ में तेल लगा कर पीठ ससार दो …. पीठ पर सासू जी का तेल लगा हथेली लगते ही देवर जी एक दम से चुप हो गए और सबके सांस में सांस आई …. और साबित हो गया कि वो पड़ोसन डायन थी ….
जब मैं गर्भवती हुई और जब तक राहुल{मेरा बेटा} छ महीने का नहीं हो गया ,मुझे कोई परेशानी नहीं हुई …. उन दौरान मैं सोचती ,कि ……
कैसे
किसी को उलटी होता होगा ….
खाने की इच्छा नहीं होती होगी ….
किसी चीज का गंध परेशान करता होगा ....
उपर्युक्त बाते मेरे साथ होती तो ….
रईसी जिंदगी गुजराती ना (*_*)
नाज़ नखरे लोग उठाते
डॉ से दिखलाया जाता
अल्ट्रा साउंड होता सी डी बनता
गोल्डन मेमोरी होता ना (*_*)
खैर
ऐसा कुछ नहीं होना था न हुआ ....
नौ महीने समय गुजरा …. बिना लेबर पेन का नार्मल डिलीवरी से बेटा भी पैदा हो गया .....
वो भी ऐसा कि ना जागता और ना रोता
उसे सोये में तेल लगाना ,नहलाना हो जाता था …. कान मल मल कर दूध पिलाना होता था ,क्यूँ कि कान दर्द से मुंह खोल देता था ....
दिन भी चैन से गुजरता और रात भी सुकून से गुजर जाता .....
रोता जागता तो घर के कामों से भी मुक्ति मिलती और लोगों से सहानुभूति कि बच्चा से बहुत परेशान है ..... बेचारी ,कुछ रहम किया जाए ….
या
बच्चे को सुलाने के बहाने जच्चा भी सो जाए ….
सोये को क्या सुलाना .....
लेकिन। …. लेकिन। …। लेकिन। ….
एक दिन मेरे घर कोई आया और बोल दिया कि ….
बहुत प्यारा बच्चा है ....
ये तो सोता ही रहता है ....
कोई परेशानी नहीं होगी आप लोगो को ….
राहुल उस समय छ महीने का था .…
उस बात को कुछ घंटे बीते हुआ होगा कि
राहुल जगा और रोना शुरू किया …. रोता गया .... रोता गया ….
सात दिन - रात रोता रहा …. पूरा घर परेशान ….
मेरी सासू जी को जो समझ में आता उपाय कराती रहीं ….
कभी किसी पंडित को बुला पूजा पाठ .....
कोई बता देता तो मौला से ताबीज ....
कोई बता देता तो मजार से भभूत ....
सरसों मिर्चा से नज़र उतार कर गोयठे के आग पर जला कर उसका धुआँ ....
उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़
उपाय होता रहा आखिर सातवें दिन राहुल को नींद और सबको चैन मिला ….
फिर वही रफ्तार से जिंदगी चलने लगी ....
लेकिन जिस आदमी का टोक लगा था , उस आदमी पर शक करना , तौबा , सब के लिए पाप गुनाह होता ….
जब राहुल १० महीने का हुआ ..... फिर बीमार रहने लगा जो करीब १६-१७ साल तक झेलाता रहा ….
उन दौरान भी ओझा पंडित का चक्कर लगा …. श्मशान से पका लिट्टी …. होलिका पर से पका लिट्टी …. झाड़ -फूंक ….
मुझे बस यही समझ में आया कि बीमारी बस बिमारी .…
भोजपुरी में एक शब्द है छरियाना ….
जो किसी बच्चे में कभी भी हो जाता है …।
छरियाना जादू -टोना से नहीं होता है ……।
______________________________ क्रमश:
१० महीने ४ दिन का था
उसी दिन
दिन में फोटो खिचाया था
और
शाम में बीमार पडा था
नमस्कार !
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति की चर्चा कल सोमवार [28.10.2013]
चर्चामंच 1412 पर
कृपया पधार कर अनुग्रहित करें |
सादर
सरिता भाटिया
शुक्रिया और आभार
Deleteहार्दिक शुभकामनायें
kya sach kya juth tho pata nahi didi...nazar ki baat sun sun kar tho main bhi badi hui hun....par fir bhi lagta hai aisa kuch nahi ....bhagwan bhala chahiyee bass...
ReplyDeleteनजर ,जादू - टोने के अन्धविश्वाश में नही पड़ना चाहिए ,,,
ReplyDeleteRECENT POST -: तुलसी बिन सून लगे अंगना
आज भी बहुत लोग ऐसा मानते हैं लेकिन मुझे लगता है ये अंधविश्वास है ऐसा कुछ नहीं होता
ReplyDeleteबहुत सुन्दर आत्मकथा के साथ ही समाज की गतिविधयों का आपने लेखन में समावेश किया है। बहुत अच्छा
ReplyDeleteउम्दा अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति को आज की बुलेटिन शहीद जतिन नाथ दास और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteशुक्रिया और आभार मेरे पोस्ट को पसंद करने के लिए
Deleteमुझे बस यही समझ में आया कि बीमारी बस बिमारी .…
ReplyDeleteभोजपुरी में एक शब्द है छरियाना ….
जो किसी बच्चे में कभी भी हो जाता है …।
छरियाना जादू -टोना से नहीं होता है ……।
छरियाना का अर्थ हुआ मचल जाना
ये स्साला टोटका फोट का कुछ नहीं होता अलबत्ता -"बुरी नजर वाले तेरा मुंह काला ",सुन्दर बालक के माथे पे काला टीका ,कमर में काले रंग की तगड़ी (काला धागा )तो टेढ़ी टांग वाला भी पहनता था जो बड़े बड़े राकछ्सन (राक्षसों )को ठिकाने लगा गया।
बच्चे की बीमारी में माँ बाप को कुछ नहीं सूझता है।
ReplyDeleteMaine bhi apni aankhon se dekha hai sab... Bachpan se ab tak.. Apna modern hona kahta hai dhakosla.. par aankhon dekhi ko jhooth kaise kahein.. Kuchh baatein tark se pare hoti hain..
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