*तांका [५७५७७]*
शशि बताना
किस धर्म का मानू
दूज चौथ को
ख़ुशी उजास देते
हो इन्सान बनाते
~~
सेदोका [५७७५७७]
निशा श्रृंगार
चंदा प्यार छलके
सतीसत्व महके
शशि मुखरा
बदली घेर गया
भार्या दिल दहके
~~
चोका [५७५७५७५७५७५७ ...५७७ ].
राहगीर था
राह बढ़ता गया
कुआँ में झाँका
था मनोरोगी सोचा
सुधांशु डूबा
डाले रस्सी में फंसा
चट्टान भारी
जोरा-जोरी में गिरा
नजरें उठा
सिर चोट मिटाया
शशांक मिला
नभ में चमकता
नज़र आया
चिल्लाया बचा लिया
ख़ुशी से झूमा नाचा
~~
सभी विधाओं में उम्दा अभिव्यक्ति ,,,!
ReplyDeleteRECENT POST -: हमने कितना प्यार किया था.
बहुत सुंदर
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ReplyDeleteनिशा श्रृंगार
चंदा प्यार छलके
सतीसत्व महके
शशि मुखरा
बदली घेर गया
भार्या दिल दहके---------
बहुत सुंदर प्रकृति को समेटकर लिखा तांका
उत्कृष्ट प्रस्तुति
सादर
आग्रह है---
करवा चौथ का चाँद ------
सतीसत्व महके
ReplyDeleteशशि मुखरा
बदली घेर गया
बहुत सुंदर
बहुत सुंदर.
ReplyDeleteइस पोस्ट की चर्चा, बृहस्पतिवार, दिनांक :-24/10/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक -33 पर.
ReplyDeleteआप भी पधारें, सादर ....
मेरी कोशिश आपको पसंद आई
Deleteशुक्रिया
आभार कि आप उसे यहाँ तक ले कर आये
हार्दिक शुभकामनायें
सादर प्रणाम |
ReplyDeleteबहुत खूब |
मन आनंदित हों उठा |
वाह ! बहुत खूबसूरत , लाजवाब !
ReplyDeleteसर्व गुण संपन्न हो रही आप :))
ReplyDeleteबहुत खूब ... प्रेम को अनेक तरीकों की विधा में बाँध लिया ...
ReplyDeleteशशि बताना
ReplyDeleteकिस धर्म का मानू
दूज चौथ को
ख़ुशी उजास देते
हो इन्सान बनाते
....लाज़वाब....सभी प्रस्तुतियां बहुत सुन्दर...
मेरी कोशिश आपको पसंद आई
ReplyDeleteशुक्रिया
आभार कि आप उसे यहाँ तक ले कर आये
हार्दिक शुभकामनायें
बहुत सुंदर और अच्छा चित्रण के भाव .....
ReplyDeleteअति सुन्दर...अद्भुत !
ReplyDeleteसारे बहुत सुन्दर.
ReplyDeleteलय भी, भाव भी।
ReplyDeleteदूज चौथ को
ReplyDeleteख़ुशी उजास देते
हो इन्सान बनाते
......सभी बहुत सुन्दर...
सुन्दर
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