Friday, 25 October 2013

चलो चलो चलो चलो चलो




चलो वादा रहा
आँचल सामने है 
उतारो देखें 
कितना भर 
सकता है 
थक ना जाना 
थकना मना होता 
शीत युद्ध शौक है ना। 

~~

चलो आजमा लो 
कौन टूट कर
बिखरता है 
बिखरने वाला ही 
जीतता है क्यूँ कि 
उस हद तक 
वही लड़ सकता है 

~~

चलो झांको अंतःकरण
परीक्षा देने वाला
रम जाता है
उत्तर ढूंढ़ ने में
कहाँ फुर्सत होती
सोचने में समय गवां दे
क्या गलत किया
क्या सही किया
बदला ना लेने वाला
बहादुर होता है

~~

चलो सोचा जाए
क्या खोये ,क्या पाए
कौन किसके पीछे
कैसा समय गंवा दिया
सत्ता ना मानने वाला
अपने कर्म पर ध्यान दिया
अपने पर अपने पर
छोटी-छोटी बातों पर
उसने अपनी
प्रसन्नता के खजाना
लुटने नहीं दिया

~~




11 comments:

  1. बहुत ही बहुमूल्य बातें ....बहुत सुंदर रचना .....!!

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  2. sundar man se nikle sundar vichaar

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  3. बहुत सुन्दर..उत्साह बढ़ाती रचना

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  4. SAADAR PRANAAM
    BAHUT hi sundar panktiyaa.....
    laajwab lekhan ....

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  5. कितने अच्छे विचार पिरोये हैं आपने।

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  6. अच्छी प्रस्तुति ! चरिवेती ! चरिवेती! ! चरिवेती! !

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  7. ....उत्साह बढ़ाती रचना

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  8. nice lines and nice blog...
    your most welcome to my blog..
    http://iwillrocknow.blogspot.in/

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  9. बेहतरीन और लाजवाब |

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  10. सुंदर रचना

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