रोज गार्डन चंडीगढ़
आठ सौ पच्चीस तरह के गुलाबों के बीच हमारी गोष्ठी
विभिन्न विषयों के साथ हाइकु पर भी बातें हुई
कुछ लोग बहुत ही अच्छा लिखना जानते हैं।
मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा था
कि ये कनैल का वृक्ष है ....
कनेर कला
स्वर्ण हँसी बिखरे
हरे घर में।
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1
नभ को छूते
आओ सखियाँ कूदें
रुढी को तोड़ें।
2
पद्मा बनती
लक्ष्मी आस बांटती
पैसों की पौद ।
3
नव लें साँसें
निशीथ स्त्री जीवन
तरणी आस।
4
आँगन पौधे
दुरुक्ति चटखारे
समय राग।
5
आँख मिचौली
रवि मेघ के संग
चीड बिचौली।
6
कुलाचें , चुस्की
ग्रीन टी मेघ लेता
गिरि खंगाले ।
7
पढते छौने
सुस्ती मिटाये चुस्की
पौ फटते ही।
8
आकुल सिन्धु
उफने क्रोधी उर्मी
बेवश घन/वाणी।
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बहुत ही सुन्दर हाइकू हैं सभी ... और सभी फोटो बेमिसाल ...
ReplyDeleteखूबसूरती को बहुत सुन्दर कैद किया है
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