Wednesday, 27 July 2016

हिंद - हिन्दुस्तानी - हिंदी






ऋचा सिंह मिसेज इंटेलिजेंस वर्ल्ड माइक पकड़े 
मेरे पति के मित्र की बेटी
पटना की बेटी
बिहार की बेटी
हिंद की बेटी
मेरी बेटी


 पटना में मिसेज एशिया यूनिवर्स का
फाइनल प्रोग्राम
सोमवार 24 जुलाई की रात हुआ
आजतक न्यूज़ चैनल पर प्रसारित मैं देखी 
कई देशों में दिखलाया गया होगा

आठ महीनों के प्रयास .... समझाने की कोशिश सफल हुई 
ऋचा के
कि ये प्रोग्राम बिहार में किया जाये
जद्दोजहद बिहार की स्थिति के कारण ऋचा को करने पड़े होंगे
भारत .... भारत में बिहार ... बिहार में आतंक
राजनीत का आतंक .... शिक्षा की कमी का आतंक
बिहारी शब्द बिहारियों के लिए गाली के रूप में प्रयोग होता है

जिसमें एक जज साऊथ अफ्रीका की मिसेज वर्ल्ड 2015 

एक प्रतिभागी कनाडा की थी

जिसे देखने मैं गई थी ... मोबाइल से रिकार्ड कर लाई तो अपने फेसबुक टाइम लाइन पे लगाई 
उस प्रोग्राम में इंग्लिश में बात सबने की थी
जिसे देखकर श्री 
मुकेश कुमार सिन्हा जी 
को देशभक्ति पर शक हुआ
उनका सवाल था कि जब विदेशी अपनी भाषा नहीं छोड़ते तो हम अपनी भाषा क्यों छोड़े
तो

विमर्श का विषय है कि जहां हिंदी नहीं चल सकती वहाँ क्या करना चाहिए ?

बिहार में मगही ,मैथली,भोजपुरी के संग हिंदी भी बोली जाती है ..... या यूँ कहें तो ज्यादातर हिंदी ही बोली जाती है .... बदलते माहौल का असर रहा तो कुछ सालों के बाद ज्यादातर अंग्रेजी ही बोली सुनी जाएगी .... जगह जगह मशरूम कुकुरमुत्ते की तरह अंग्रेजी स्कूलों का खुलने का असर और बच्चों पर दबाव कि वे अंग्रेजी में गिटपिट करें ....
हवाई यात्रा में मुस्कुराहट खो जाती हैं .... नोटों के नीचे कहीं दबी रहती है .... इंग्लिश की चीलपों ....
लेकिन  .... जब बिहार आने के लिए रेल की यात्रा करती हूँ तो बहुत आनंद आता है ..... मगही मैथली भोजपुरी हिंदी की गुनगुनाहट सुनाई देती है ..... अंग्रेजी बोलने वाले कम ट्रेन से सफर करते हैं न .... लेकिन जब बिहार से बाहर जाने वाली रेल यात्रा करती हूँ तो अक्सर एक दर्द साथ ...... सहयात्री को ज्यूँ पता चलता है बिहारी हूँ .... चेहरे का रंगत बदल जाता है .... मानों कोई क्रिमनल संग बैठी है .... जब देश में ये हालात है तो विदेशों में क्या हालात होते होंगे 
ऐसे हालात में विश्वास दिलाना कितना मुश्किल रहा होगा ..... 






6 comments:

  1. शुभदोपहरी दी jsk बिलकुल सही कहा आपने ।इसी माहौल या कहे मिथक के चलते बिहारवासी खुद को बिहार का बताने में संकोच का अनुभव करते है ।मुझे भी बहुत बुरा लगता है जब कहीं बिहार के विरुद्ध अनापशनाप पढ़ती हूँ क्योंकि मैंने जो 23 साल वह बिताये वो मेरे जीवन के बेहतरीन दिन रहे। और क्राइम कहाँ नही है ? खैर बदलते बदलते तस्वीर बदलेगी । ☺

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 28 . 07. 2016 को चर्चा मंच पर
    चर्चा - 2417
    में दिया जाएगा
    धन्यवाद

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  3. बिलकुल सही कहा आपने

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  4. गौरवान्वित अनुभव कर रहा हूँ दीदी!

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  5. This comment has been removed by the author.

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    Replies
    1. किसी व्यक्ति की पहचान उसके कर्म के द्वारा होनी चाहिए ना कि जन्म कहाँ लिया है उसके आधार पर ,व्यक्ति के अच्छे कर्मों के द्वारा ही उसकी जन्मभूमि का गौरव बढ़ता है ,

      एक नई दिशा !

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