विषय : प्रदत्त चित्र 'चाय" वर्ण पिरामिड जनक आदरणीय भाई Suresh Pal Verma Jasala जी
जी!
ख़्याली
वाताली
प्रेम पगी
रची पत्राली
थामी चाय प्याली
कथा तान दे डाली। {01.}
><
हाँ!
डाह
उद्वाह
बदख़्वाह
‘चाय’ कि ‘चाह’
सोहे स्याह मोहे
सीने में दर्द तो हैं। {02.}
विषय : प्रदत्त चित्र 'चाय" वर्ण पिरामिड जनक आदरणीय भाई Suresh Pal Verma Jasala जी
जी!
ख़्याली
वाताली
प्रेम पगी
रची पत्राली
थामी चाय प्याली
कथा तान दे डाली। {01.}
><
हाँ!
डाह
उद्वाह
बदख़्वाह
‘चाय’ कि ‘चाह’
सोहे स्याह मोहे
सीने में दर्द तो हैं। {02.}
“दीदी अगर डाँटो नहीं तो एक बात कहूँ…” रात के ग्यारह बजे राजू ने कहा। “डाँटने वाली बात होगी तो नहीं डाँटने की बात कैसे कह दूँ? तुमसे डरने लगू...
असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (01-11-2020) को "पर्यावरण बचाना चुनौती" (चर्चा अंक- 3872) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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वन्दन संग हार्दिक आभार आपका आदरणीय
Deleteवाह
ReplyDeleteअनोखा वर्ण पिरामिड ।
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