Saturday 10 April 2021

पश्चाताप

 "माता-पिता के सामने जाकर केवल खड़ा हो जाने से, रिश्तों पर इतने समय से जम रही धूल साफ हो जाएगी..!" मीता ने अपने पति अमित से कहा।

"सामने जाकर खड़ा होने का ही तो हिम्मत जुटा रहा हूँ, जैसे उनसे दूर जाने की तुम्हारे हठ ठानने पर हिम्मत जुटाया था।"

"मेरे हठ का फल निकला कि हमारी बेटी हमें छोड़ गयी और बेटा को हम मरघट में छोड़ कर आ रहे ड्रग्स की वजह से..। संयुक्त परिवार के चौके से आजादी लेकर किट्टी पार्टी और कुत्तों को पालने का शौक पूरा करना था।"

"उसी संयुक्त चौके से बाकी और आठ बच्चों का सुनहला संसार बस गया..।"

"हाँ! अब मेरे भी समझ में आ गया है, शरीर से शरीर टकराने वाली भीड़ वाले घर में एच डी सी सी टी वी कैमरा दादा-दादी, चाचा-चाची, बुआ की आँखें होती हैं..,"

"अब पछतात होत क्या...,"

"आगे कोई बागी ना हो... उदाहरण अनुभव के सामने रहना चाहिए...!"

12 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (11-04-2021) को   "आदमी के डसे का नही मन्त्र है"  (चर्चा अंक-4033)    पर भी होगी। 
    -- 
    सत्य कहूँ तो हम चर्चाकार भी बहुत उदार होते हैं। उनकी पोस्ट का लिंक भी चर्चा में ले लेते हैं, जो कभी चर्चामंच पर झाँकने भी नहीं आते हैं। कमेंट करना तो बहुत दूर की बात है उनके लिए। लेकिन फिर भी उनके लिए तो धन्यवाद बनता ही है निस्वार्थभाव से चर्चा मंच पर टिप्पी करते हैं।
    --  
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।    
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-    
    --
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --

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    1. सादर प्रणाम के संग हार्दिक आभार आपका

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना आज शनिवार १० अप्रैल २०२१ को शाम ५ बजे साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन " पर आप भी सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद! ,

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    1. असीम शुभकामनाओं के संग हार्दीक आभार आपका

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  3. बच्चे नासमझ होते हैं
    पर इतने भी नहीं कि
    अब कहने शेष कुछ नहीं
    सादर नमन

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  4. संयुक्त परिवार के अपने फायदे हैं ... बड़ों की देख रेख में बच्चों को बिगड़ने का मौका कम ही मिलता है ....

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  5. बहुत सुंदर प्रस्तुति काश फिर से संयुक्त परिवार की शुरुआत हो जाती आज की नई पीढ़ी फिर से अपनी विरासत को अपना ले तो ....

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  6. यथार्थ का सामना !सचमुच संयुक्त परिवार के अपने अलग फायदे हैं !
    बढ़िया प्रस्तुति,बधाई!

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  7. ओह! मर्मस्पर्शी सृजन ।

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  8. बहुत सुंदर रचना

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