Wednesday 15 June 2022

विषाक्तता

 


सिंदूरी सन्ध्या श्यामली निशा को अपना अधिकार सौंप देने ही वाली थी... घरों से निकले अनेकानेक गन्ध-सुगन्ध भुवन में फैल रहे थे। एक तरफ उन घरों में वामाएँ प्रतीक्षारत थीं तो दूसरी तरफ सजी सँवरी अनारकली पोशाक में , झीना घूँघट डाले, पैरों को हिलाते हुए घँघुरओं के स्वर से उतावलापन फैला रही थी। 

"बकरी की अम्मा कब तक खैर मनाएगी?" सारंगी ने तबले से कहा।

"मनाएगी न ! मनाएगी, बकरी की अम्मा खैर मनाएगी। शहर के धन्नाराम, नए-नए मूँछ वाले बोली में बढ़त लगाते जा रहे हैं.. । बकरे का सौदा जो ऊँची नाक के दिखावे में बदल गया।" तबले ने कहा।

दूर कहीं बज रहा था

न हीरा है न मोती है न चाँदी है न सोना है

नहीं क़ीमत कोई दिल की ये मिट्टी का खिलौना है

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लिट्टी-चोखा

आखिर कहाँ से आया 'लिट्टी-चोखा' और कैसे बन गया बिहार की पहचान.... लिट्टी चोखा का इतिहास रामायण में वर्णित है। ये संतो का भोजन होता था...