Wednesday 21 September 2022

वन का वट

गुरु माँ

चरण वन्दन

आपके आशीष वचनों के कवच में घिरा मैं पूर्णतया सुरक्षित हूँ। मैं आपसे ज्यादातर नाराज ही रहा। मुझे लगता था कि आप मुझसे प्यार नहीं करती। सदैव अनुशासन की छड़ी मेरे सर पर लटकती रही। सबसे छोटे मामा की खुशियों का ख्याल ही रखती दिखीं। मामा, आपको माँ का दर्जा देते थे। मामा को नानी का अक्स याद नहीं था।

आपके अनुशासन ने मुझे सैन्य प्रशिक्षण तक पहुँचा दिया लेकिन विद्रोही मन से कमजोर पड़ा तन-मन सफल होने नहीं दे रहा था।

कुछ दिनों के पश्चात् सहभागियों के संग प्रशिक्षक स्तब्ध रह गए जब मैं सफल होना शुरू किया। आप भी जानना चाहेंगी ऐसा क्यों हुआ? बताता हूँ.. एक दिन मैंने देखा, चूजों के साथ पला बाज आकाश में बहुत ऊँचे उड़ता बाज को देखकर भौंचक था। मुँडेर पर उड़ने वाले बाज नहीं होते..!

आकाश में उड़ते बाज की माता ने बिना पँख खुले अपने सगे बच्चे को आकाश के बहुत ऊँचाई पर ले जाकर छोड़ देने की क्रिया की होगी न..! उस सगी माँ को किसी ने सौतेली तो नहीं कहा होगा...!

2 comments:

  1. आसान नहीं होता है सभी सगों का बाज होकर छोड देना चूजों को। समय सिखाता है लेकिन ये भी।

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