Tuesday, 24 February 2015

क्षणिकाएँ


 होली की ठिठोली
=
1

झूमो झनको
रंग पानी सा मिलकर
भूलें गिले होकर गीले
झगड़ना या झरना बन बहना
एक दूजे में झलको

2

स्वप्न का धनक निखरे
गैर बिराना मौन ना बचे
पुताई हर दिल हर चेहरे हो
प्यार खरीदार सारे बचे
चहक चहुँ ओर बिखरे

3

जर्द धरा चेहरे पे दर्द
किसने क्यूँ फैलाई
यादों की बुक्कल हटाओ
मलो रंग अबीर मलाई
हटे फिजाओं से सर्द

4

मन ना अश्लील करो
डूबा रंग पोखरे हलकान करो
सलहज भौजी ननद साली
हो जाती सब दिलदार भोली
व्यवहार हमेशा श्लील करो

5

कर गया चोरी दर्जी
सिल दी तंग चोली
बरजोरी की , ले रंग
दंग हमजोली
तोड़ डाले कांच से रिश्ते
बिना जाने उस की मर्जी 

===

11 comments:

  1. सभी बहुत अच्छे और एक से बढ़्कर एक हैं

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  2. होली का आगमन दस्तक दे रहा है ...

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  3. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 26-02-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1901 में दिया जाएगा
    धन्यवाद

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    1. आभारी हूँ आपकी ..... बहुत बहुत धन्यवाद आपका

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  4. होली का शाब्दिक हुडदंग अच्छा लगा !
    न्यू पोस्ट अनुभूति : लोरी !

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  5. बहुत ही सुंदर रचना। अच्‍छा लेखन प्रस्‍तुत करने के लिए बहुत बहुत धन्‍यवाद।

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  6. सुंदर अभिव्यक्ति !!

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  7. बहुत सुंदर ...सादर नमस्ते दी

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  8. Nice Article sir, Keep Going on... I am really impressed by read this. Thanks for sharing with us.. Happy Independence Day 2015, Latest Government Jobs.

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  9. होली पास है | रचनाएं सार्थक हो चलीं. बधाई

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