होली की ठिठोली
=
1
झूमो झनको
रंग पानी सा मिलकर
भूलें गिले होकर गीले
झगड़ना या झरना बन बहना
एक दूजे में झलको
2
स्वप्न का धनक निखरे
गैर बिराना मौन ना बचे
पुताई हर दिल हर चेहरे हो
प्यार खरीदार सारे बचे
चहक चहुँ ओर बिखरे
3
जर्द धरा चेहरे पे दर्द
किसने क्यूँ फैलाई
यादों की बुक्कल हटाओ
मलो रंग अबीर मलाई
हटे फिजाओं से सर्द
4
मन ना अश्लील करो
डूबा रंग पोखरे हलकान करो
सलहज भौजी ननद साली
हो जाती सब दिलदार भोली
व्यवहार हमेशा श्लील करो
5
कर गया चोरी दर्जी
सिल दी तंग चोली
बरजोरी की , ले रंग
दंग हमजोली
तोड़ डाले कांच से रिश्ते
बिना जाने उस की मर्जी
===
सभी बहुत अच्छे और एक से बढ़्कर एक हैं
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना.
ReplyDeleteहोली का आगमन दस्तक दे रहा है ...
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 26-02-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1901 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
आभारी हूँ आपकी ..... बहुत बहुत धन्यवाद आपका
Deleteहोली का शाब्दिक हुडदंग अच्छा लगा !
ReplyDeleteन्यू पोस्ट अनुभूति : लोरी !
बहुत ही सुंदर रचना। अच्छा लेखन प्रस्तुत करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति !!
ReplyDeleteबहुत सुंदर ...सादर नमस्ते दी
ReplyDeleteNice Article sir, Keep Going on... I am really impressed by read this. Thanks for sharing with us.. Happy Independence Day 2015, Latest Government Jobs.
ReplyDeleteहोली पास है | रचनाएं सार्थक हो चलीं. बधाई
ReplyDelete