Monday 12 October 2015

अंत हो मरने के बाद के श्राद्ध का




आज अंतिम दिन पितृपक्ष का कल से नवरात्र शुरू

जान में जान हो
जाने में राह आसान हो
जान लें जाना कहाँ है
जाने से पहले

आत्मतृप्ति के बाद आत्मा तृप्ति की जरूरत नहीं होती

 तीन में कि तेरह में

एक बार चाची(पड़ोसन) से बातचीत के दौरान पता चला इसका सही सही अर्थ

चाची बताई कि 
मिथिला में बेटियां तीन दिन में अपने माता पिता का श्राद्ध करती हैं
और बेटे तेरह दिन में

मिथिला में बेटियों का कन्यादान तिल विहीन किया जाता है इसलिए तिल भर सम्बन्ध या यूँ कहें दायित्व निभाने की जिम्मेदारी मिल जाती है

वहीं छपरा जिला में बेटियां ना तीन में ना तेरह में होती हैं

लेकिन
बेटे बहुत लायक होते हैं तो बेटियां चैन से रहती हैं
~~

4 comments:

  1. बेटे बहुत लायक होते हैं?

    ReplyDelete
  2. बहुत ही सुंदर रचना की प्रस्‍तुति। मेरे ब्‍लाग पर आपका स्‍वागत है।

    ReplyDelete
  3. पंक्तियाँ खुद में कई अर्थ समेटे है, चौथी पांचवी और अंतिम पंक्ति बेहद असरदार है।

    ReplyDelete
  4. पंक्तियाँ खुद में कई अर्थ समेटे है, चौथी पांचवी और अंतिम पंक्ति बेहद असरदार है।

    ReplyDelete

आपको कैसा लगा ... यह तो आप ही बताएगें .... !!
आपके आलोचना की बेहद जरुरत है.... ! निसंकोच लिखिए.... !!

अनुभव के क्षण : हाइकु —

मंजिल ग्रुप साहित्यिक मंच {म ग स म -गैर सरकारी संगठन /अन्तरराष्ट्रीय संस्था के} द्वारा आयोजित अखिल भारतीय ग्रामीण साहित्य महोत्सव (५ मार्च स...