Friday, 4 November 2016

छठ




कोसी मनौती का ही होता है .... बेटा हुआ तो भरा जायेगा  ... बेटा की शादी हुई तो भरा जायेगा ... बेटों की नौकरी लगी तो भरा जायेगा।


नहाय खाय से आज छठ व्रत शुरू .... सभी व्रती को मेरा सादर नमन .... बहुत कठिन व्रत है .... श्रद्धा और विश्वास से ही पार लगता है .... आस्था श्रद्धा विश्वास के संग स्वच्छता का सन्देश देता पर्व हैं

सयुंक्त परिवार का आनंद है ... पूरा परिवार जुटता है .... वो सबसे अच्छी बात है इस व्रत में ....

कहते हैं छठ बैठाना नहीं चाहिए अपसगुन होता है ... मेरी बड़ी माँ छठ बैठाई तो भाई की मृत्यु हुई .... मझली माँ छठ छोड़ी तो उसी समय एकादशी {देवउठन} के दिन खुद गुजर गईं ... ... मेरी सास छठ बैठा दीं .... हमारे परिवार में एक साथ जुटने का साधन केवल शादी है जो हर साल तो होती नहीं .... अन्धविश्वास लेकिन मुझे विश्वास करने का मन करता है .... पहले छठ से लोग बहुत डरते थे ... घर की कोई वृद्ध महिला ही करती थी ... सभी तैयारियों में मदद करते थे ।

मेरे बड़े भैया का टाँसिल का ऑपरेशन होने वाला था। ... अस्पताल के बाहर में हम जहां प्रतीक्षित थे वहीं पर ... छठ के लिए सुप दौरा बन रहा था। .. मेरी माँ बहुत घबराई हुई थीं ....{माँ का दिल , माँ बनने के बाद ही समझ में आया मुझे } .... वे मनौती मान लीं कि सब कुशल मंगल रहेगा तो वे छठ में सारा सामग्री देंगी एक सूप का। ..... भैया के टाँसिल का ऑपरेशन हुआ और सफल रह ,सब कुशल मंगल रहा। ... मेरी माँ उसी साल से एक सूप के संग सभी सामग्री देने लगी .... मेरी माँ मेरी शादी के तीन साल पहले गुजर गईं सारी जिम्मेदारी पापा भैया भाभी पर छोड़ कर। ... मेरी शादी के लिए मेरे वही भैया मनौती माने कि वे पानी में छठ के दिन खड़े होंगे ....मेरी शादी जून में हुई और वे उसी साल से छठ में पानी में खड़े होने लगे ....साल दर साल गुजरता रहा। ... छोटे भैया की शादी के कुछ सालों के बाद दोनों भाभियाँ मेरी छठ करने का विचार की कि माँ का मनौती का बोझ कब तक दुसरे उठाते रहेंगे। ... भैया हाल के दो-तीन वर्षों से खरना भी करने लगे हैं। ... आस्था का पर्व है छठ ....यूँ भी कहा जाता है ...मानों तो देव नहीं तो पत्थर।



1 comment:

  1. मेरी ओर से प्रणाम , मेरी महाव्रती दीदी को
    शुभ कामनाएँ
    सादर

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