Friday, 24 November 2017

"इंसाफ"


"-अरे! ये क्या? आज का भोजन किसने तैयार किया है?" रात्रि भोजन के समय सभी खाने पर ज्यूँ ही एकत्रित हुए... थाली पर नजर पड़ते ही पिताजी चिल्ला उठे...
"-जरूर ई खाना मेरी पत्नी का बनाया हुआ है" सबसे छोटे बेटे की क्रोधित आवाज गूंजी...
"-सब जानते हैं उसे खाना बनाने में मन नहीं लगता है , फिर उसे क्यों बनाने दिया गया?" बड़े बेटे की दुखित आवाज गूंजी...
"-तो क्या केवल मेरी पत्नी ही चूल्हे में जलती रहे?" मझले बेटे की तीखी आवाज आई...
"-घर में कलह बढ़ता जा रहा था... दिन के भोजन बनाने के समय छोटी बहू नहाने-धोने व कमरे की सफाई की व्यस्तता का दिखावा करते हुए चौके की तरफ मुँह नहीं करती है... शाम में बाहर घूमने निकल गई या केवल सब्जी बनाने में हाँथ बंटा जिम्मेदारी समझ ली... परिवार नहीं टूटे अतः सुबह शाम खाना बनाने का बंटवारा मैं कर दी"
"लो बहुत होशियारी की हो तो खाओ आज मजेदार लज्जतदार खाना... दो रोटी के बराबर एक , तीन रोटी के बराबर एक , चार रोटी के बराबर एक रोटी"
"ना निमन गीत गायब ना दरबार बुला के जाएब" मझले बेटे-बहू की एक साथ व्यंग्यात्मक आवाज गूंजी
"छोटी बहू के साथ किसी का सम्पर्क नहीं होगा और वो केवल अपना खाना तब तक अलग बनाएगी जब तक सबके लिए पतली रोटी बनाना शुरू नहीं कर देती है..." पिताजी की रोबदार आवाज गूंज गई...

3 comments:

  1. महिला रचनाकारों का योगदान हिंदी ब्लॉगिंग जगत में कितना महत्वपूर्ण है ? यह आपको तय करना है ! आपके विचार इन सशक्त रचनाकारों के लिए उतना ही महत्व रखते हैं जितना देश के लिए लोकतंत्रात्मक प्रणाली। आप सब का हृदय से स्वागत है इन महिला रचनाकारों के सृजनात्मक मेले में। सोमवार २७ नवंबर २०१७ को ''पांच लिंकों का आनंद'' परिवार आपको आमंत्रित करता है। ................. http://halchalwith5links.blogspot.com आपके प्रतीक्षा में ! "एकलव्य"

    ReplyDelete
  2. जी... बहुत अच्छी..!!

    ReplyDelete
  3. आप सभी सुधीजनों को "एकलव्य" का प्रणाम व अभिनन्दन। आप सभी से आदरपूर्वक अनुरोध है कि 'पांच लिंकों का आनंद' के अगले विशेषांक हेतु अपनी अथवा अपने पसंद के किसी भी रचनाकार की रचनाओं का लिंक हमें आगामी रविवार(दिनांक ०३ दिसंबर २०१७ ) तक प्रेषित करें। आप हमें ई -मेल इस पते पर करें dhruvsinghvns@gmail.com
    हमारा प्रयास आपको एक उचित मंच उपलब्ध कराना !
    तो आइये एक कारवां बनायें। एक मंच,सशक्त मंच ! सादर

    ReplyDelete

आपको कैसा लगा ... यह तो आप ही बताएगें .... !!
आपके आलोचना की बेहद जरुरत है.... ! निसंकोच लिखिए.... !!

प्रघटना

“इस माह का भी आख़री रविवार और हमारे इस बार के परदेश प्रवास के लिए भी आख़री रविवार, कवयित्री ने प्रस्ताव रखा है, उस दिन हमलोग एक आयोजन में चल...