Friday, 1 March 2019

थोड़ी इमोशनल फूल हूँ


मिटा ले सकते हो चिह्न नक्शे से कतलाम तक पहुँचा दो
चूहे बिल्ली का खेल चलते रहना अभिराम तक पहुँचा दो
मुझसे कायर तब कहना जब लाशों में अपनो को खोजना
हिरोशिमा के अपरिपक्कवता  को फरजाम तक पहुँचा दो

लो!
खब्ती
दोचित्ती
अंत अरि
जय जवान
ज्यों पीली पत्तियाँ
छीन ली गई धरी।{01.}
ओ!
घाल
जवाल
नटसाल
अरि तंद्राल
भू-पुत्र कराल
गुरू जय जवान। {02.}

3 comments:

  1. सस्नेहाशीष व शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार छोटी बहना

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  2. बहुत ही सुंदर रचना ,सादर नमस्कार आप को

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  3. बहुत सुन्दर...

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आपको कैसा लगा ... यह तो आप ही बताएगें .... !!
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प्रघटना

“इस माह का भी आख़री रविवार और हमारे इस बार के परदेश प्रवास के लिए भी आख़री रविवार, कवयित्री ने प्रस्ताव रखा है, उस दिन हमलोग एक आयोजन में चल...