Thursday 10 August 2023

धोखा

 Padam Godha :- आजकल छोटे छोटे बच्चे भी स्कूल बस से मां को फ्लांईंग किस करते हैं। समझ नहीं आता दूसरे का पति उड़ाना ज्यादा अनैतिक है या फ्लांईंग किस?

सुनीता त्यागी :- 1. दूसरे का पति कोई मिट्टी का पुतला नहीं था कि उड़ा लिया।
2. संसद सदस्याएं राहुल नाम के बालक की मां नहीं थीं।
Roopal Upadhyay :- सुनीता त्यागी जी मतलब अपनी मित्र जिसने गरीबी पर दया कर के अपने घर में जगह दी उसी के पति को पटाना गलत नही और फ्लाइंग किस देना गलत वाह ये दोगुली मानसिकता ही भारत को पिछड़ा रही है। सच में शिक्षा का बहुत ज्यादा अभाव है।लोगी को इतना तो पता होना चाहिए कि  comminunication में non verbal communication का एक part है gesture जिसके अंतर्गत flying kiss आता है जिसका अर्थ होता है i love you all इसमें क्या गलत है। सभी बोलते है i love you all, public figure है लोगो को प्यार करना क्या गलत है, मुझे तो समझ नही आता...
सुनीता त्यागी :- Roopal Upadhyay आदरणीय उच्च शिक्षिता जी मुझे आप को कोई सफाई नहीं देनी।
विभा रानी श्रीवास्तव :- शाबास सुनीता त्यागी जी! क्या उपमा दिया मिट्टी का पुतला! मिट्टी का पुतला नहीं था इसलिए उड़ाया जा सका...
सुनीता त्यागी :- ओहो तीर निशाने पर जाकर लगा है तभी तो अंध चमचे सफाई देने के लिये मैदान में कूद पड़े हैं। विभा रानी श्रीवास्तव जी मिट्टी का पुतला नहीं था, तो चौपाया भी नहीं होगा वो कि हांक कर ले गयी। अपनी इच्छा से ही अपनी पत्नी को छोड़कर दूसरी के पास गया होगा।
विभा रानी श्रीवास्तव :- सौ फी सदी सत्य कथन सुनीता त्यागी जी! बिलकुल सहमत हूँ आपसे। 'अपनी इच्छा से ही अपनी पत्नी को छोड़कर दूसरी के पास गया होगा।' ये 'दूसरी' आसानी से उपलब्ध जो होती है...! यह दूसरी ना जाने कितनों की दूसरी, अन्य की दूसरी, अन्यों की दूसरी होती होगी...
सुनीता त्यागी :- विभा रानी श्रीवास्तव इस बात का राहुल के फ्लाइंग किस से क्या रिलेशन है समझ नहीं आया। राहुल को तै पहली ही नहीं मिली है दूसरी की उम्मीद छोड़ दे। वैसे वो पहली है या दूसरी ये उनका व्यक्तिगत मैटर है।
विभा रानी श्रीवास्तव :- सुनीता त्यागी जी ना तो राहुल के फ्लाईंग किस से मतलब है, राहुल को पहली नहीं मिली दूसरी की उम्मीद छोड़ दें जिसे पहली मिली उसको छोड़ वो दूसरी से मिले। ये हमारे चिन्ता का विषय है ही नहीं। यह राजनीति गलियारा है जहाँ दिन में झगड़ते हैं तो रात में गलबहियाँ दिए दिख जायेंगे। एक दूसरे को भक्त और चम्मच कह जो अपनी-अपनी पसंद की पार्टी का समर्थन करते दिखते हैं। समय के सत्ता बदलती रहती है। काँग्रेस नहीं रहा तो कुछ वर्षों में भाजपा भी नहीं रहेगी। देश रहेगा, मुद्दे रहेंगे, समस्याएँ रहेंगी और सवाल उठाते साहित्यकार रहेंगे...!

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