Thursday 15 December 2011

" सपने का सृजन…. !! "



उम्र के  इस पड़ाव पर , दर्पन में दिखता है , आड़ी - तिरछी लकीरे चेहरे पर  ,
बसंत - पतझड़  , अनेको देख - देख  , आँखें , धुंधलापन पा गई ,
गर्मी - बरसात की अधिकता सह - सह , ” शरीर “ अस्वस्थ हो गया , लेकिन   ,
कल (14 – 12 – 2011 ) रात में हवाई - जहाज से नीचे देख रही थी  , ऐसा लग रहा था , मानो दीपावली है और  जगह - जगह दीपों की " रंगोली " सजी हो , बिजली के लड़ियों से कई शहर एक साथ सज रहें हों…. ! J

सुबह ( 15 – 12 – 2011 ) में हवाई - जहाज से नीचे देखने पर , ऐसा लगा  , मानो किसी जुलाहे ने  रजाई  - तोशक  (जाड़े का दिन है ) बनाने के लिए रुई धुन कर जगह - जगह ढेड़ लगा रखा हो…. ! J

नीचे बस - कार ऐसा लग रहा था , मानो बच्चों के " toys " हों…. ! J

साथ में एक सपना भी देख रही थी  ," गुलमोहर " के नीचे बैठी हूँ और mehboob - mrigank लाल - पीले फूल से खेल रहे हैं…. ! J
जानती हूँ , बच्चे बड़े हो गए हैं…. ! J मेरा मन ही मेरे उम्र के पड़ाव तक नहीं पहुँचा है…. ! J

 हवाई - जहाज का सफर कोई पहली बार का नहीं था  , ये एहसास काफी पुराना है  , सपना नया है.... !!

शब्दों में पहली बार सृजन की हूँ…. ! सपने बच्चों के बच्चें पूरा करेगें , तब शायद मैं रहूँ , माँ से दादी के पड़ाव पर  पहुचँ कर…. ? L पहले सास के पड़ाव तक तो पहुचँ…. !! 




  

9 comments:

  1. सब कुछ साफ साफ और आइने के आर पार देख सकने की क्षमता की जाग्रति ही सफलता का सन्देश देती है |.....संगीता गोविल

    ReplyDelete
  2. मेरा मन ही मेरे उम्र के पड़ाव तक नहीं पहुँचा है..bahut pasand aayaa aap yah lekh

    ReplyDelete
  3. Very nice post different but attractive

    ReplyDelete
  4. Very nice post different but attractive

    ReplyDelete
  5. आदरणीय विभा दीदी -- मन के पारदर्शी चिंतन का बहुत ही हृदयस्पर्शी चित्र | क्या कहूँ ? अलग -- अलग दिनों में अलग तरह के उमड़े भाव एक नारी मन की ममता , स्नेह और वात्सल्य से भरे हैं | एक नारी का अलग - अलग रूपों में चितन सदैव दूसरों के लिए ही होता है | समय गतिमान है पर मन शायद यादों में उलझ समय के साथ नहीं चल पाता | अप्रतिम और बेहद प्रासंगिक विचार मंथन है जो रचना में ढला है | सादर नमन इन नये भावों से परिचित करवाने के लिए क्योकि देर सवेर ये समय हर माँ पत्नी के जीवन में आता ही है | और हार्दिक शुभकामना आपको इस भावपूर्ण लेख के लिए --------

    ReplyDelete
  6. भावपूर्ण लेख
    सादर।

    ReplyDelete
  7. मेरा मन मेरे उम्र के पड़ाव तक नहीं पहुँचा है.....
    बहुत सुन्दर....
    भावपूर्ण

    ReplyDelete

आपको कैसा लगा ... यह तो आप ही बताएगें .... !!
आपके आलोचना की बेहद जरुरत है.... ! निसंकोच लिखिए.... !!

अनुभव के क्षण : हाइकु —

मंजिल ग्रुप साहित्यिक मंच {म ग स म -गैर सरकारी संगठन /अन्तरराष्ट्रीय संस्था के} द्वारा आयोजित अखिल भारतीय ग्रामीण साहित्य महोत्सव (५ मार्च स...