आदत रही घाव को नासूर बनने नहीं देना
आदत रही किसी को भी बद्ददुआ नहीं देना
सबका हिसाब-किताब ऊपर बैठा कर देता है
आदत रही शंका को समीप आने नहीं देना
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आदत रही किसी को भी बद्ददुआ नहीं देना
सबका हिसाब-किताब ऊपर बैठा कर देता है
आदत रही शंका को समीप आने नहीं देना
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चाक चलाया
नव सृजन किया
रग्गी हर्षाये।
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रात्रिज छिपे
भू बेल्लाग सन्नाटा
ह्राद डराये ।
मूसलाधार वर्षा के बाद का धूप =रग्गी
रात्रिज = रात मे जन्म ..... नक्षत्र तारें ..........
बेल्लाग = स्पष्ट ...... ह्राद = मेघ का गर्जन
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गिरो ना नाला
हाला है हलाहल
पक्का दिवाला ।
गिरो ना नाला
हाला है हलाहल
पक्का दिवाला ।
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नवीन विधा
कालजयी अध्येता
जीवन देता।
बिहँसे हिय
छूती शिखर सुता
नैन में भय।
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जला मकान
खर फूस छावन
घर ढिबरी ।
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घनतिमिर
साया लम्बी हो जाती
स्ट्रीट प्रकाश ।
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जला मकान
खर फूस छावन
घर ढिबरी ।
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घनतिमिर
साया लम्बी हो जाती
स्ट्रीट प्रकाश ।
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हर्ष की विभा
श्री वास्तव में मिलें
बिखरी प्रभा ।
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सभी हाइकू बहुत सुंदर..और अंतिम तो लाजवाब!
ReplyDeleteपरी के प्यार के लिए आभार
Deleteजला मकान
ReplyDeleteखर फूस छावन
घर ढिबरी ।
....एक से एक गहरे अर्थो वाली पंक्तिया .......मन फ्रेश हो गया !!
क्या बात है। लाजवाब रचना।
ReplyDeleteएक से बढकर एक!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ... प्रखर हाइकू ... एक से बढ़कर एक ...
ReplyDeleteशब्दों की कारीगरी, सुन्दर भावों के साथ।
ReplyDeleteएक से बढ़कर एक हायकू..सभी बहुत सुन्दर....
ReplyDeleteजय हो
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