भावना होड
अभिव्यक्ति बेजोड़
पूर्णता मोड ।
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प्यार निशानी
अंबर श्यामपट
सूर्य सिंधु की ।
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ढूँढे सहारा
धूसरा मेघ धूम
शिखर चोट ।
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ढूँढे़ सहारा
उमस ढोती हवा
पत्ते हैं मौन ।
ढूँढे सहारा
बदहवास हवा
पत्ता खो गया ।
ढूँढे सहारा
बदहवास हवा
पत्ता खो गया ।
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ढूँढे़ सहारा
पत्र विहीन वृक्ष
चोंच में तृण ।
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ढूँढे़ सहारा
जीवन की गोधूलि
छले तनजा ।
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जीना न जीना
नहीं आसान
अपनी इच्छा
शक्ति बिना
लोग धुयेँ मे उड़ाते
हाला मे डुबोते
कुछ सिरफिरे
आवाज लगाते
आओ और आजमाओ
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इंतजार है बस आने वाली सरकार की ....
देखते हैं ..... घर के अंदर जबरदस्ती घुसाए
जानवर को घर के बाहर कर फील गुड कराती है
या और नए जानवर घर अंदर करती है .......
क्या फर्क पड़ता है ......
मारे पर दस मन माटी कि बीस मन माटी .....
जानवर को घर के बाहर कर फील गुड कराती है
या और नए जानवर घर अंदर करती है .......
क्या फर्क पड़ता है ......
मारे पर दस मन माटी कि बीस मन माटी .....
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देश चौपड़
दांव पर जनता
खिलाड़ी नेता
फर्क नहीं पड़ता
जीत जिसकी भी हो
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सँजो रखते
अनुभूति गहना
पृष्ठों की पेटी ।
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मृत्यु बाँटता
मुक्ति अत्यग्नि तृष्णा
ओट हटाता ।
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बहुत सुन्दर और सार्थक हाइकु...
ReplyDeleteढूँढे़ सहारा
ReplyDeleteउमस ढोती हवा
पत्ते हैं मौन ।
..........वाह ! सरल तरीके से बड़ी बात समझा दिया आपने।
अर्थपूर्ण हाइकू।
ReplyDeleteलाजवाब लाजवाब लाजवाब.......बहुत सुन्दर
ReplyDeleteवाह !! मंगलकामनाएं आपको !
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...अर्थपूर्ण हाइकु...
ReplyDeleteatulniy-****
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