सभी को असीम शुभ कामनायें
शशि मुखरा / बदली घेर गई / भार्या दहके
डाह के अंधे / शाप भूला ना होगा / धैर्य डहके
सुन के धौंस / छिपा जो मनुहारी / बना वो तोषी
सजा करवा / अचल हो सुहाग / आस चहके
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“इस माह का भी आख़री रविवार और हमारे इस बार के परदेश प्रवास के लिए भी आख़री रविवार, कवयित्री ने प्रस्ताव रखा है, उस दिन हमलोग एक आयोजन में चल...
बहुत हि सुंदर फोटो व मुक्तक , धन्यवाद !
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