Wednesday 1 October 2014

गजब अनुभव



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कल शाम में मैं जब 
बाहर टहलने निकली तो 
वातावरण में धूप अगरबत्ती 
फूल सबका मिला जुला गंध 
बहुत ही मोहक लगा .... 
मेरी नजरें तलाशने लगी 
लेकिन कहीं पास में 
ना तो कोई माता पंडाल है 
और ना ही कोई मन्दिर है ....

बहेतू हवा
लाई धूनी की गंध
देव द्वार से।

रवि व इंदु 
साँझ में गलबाहीं
नभ भू सिन्धु।

पिस ही गई 
माँ दो बेटों के बीच
ठन ही गई।

क्रीड़क चवा
ढूंढे गुलों का वन
फैलाने रज।

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एक बेटे के कलम से खुद को जानना .... 
शब्द नही मिले बताने के लिए ....



12 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 2-10-2014 को चर्चा मंच पर चर्चा तुगलकी फरमान { चर्चा - 1754 } में दिया गया है
    आभार

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    1. आभारी हूँ ..... बहुत बहुत धन्यवाद आपका

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  2. बहुत सुन्दर...

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  3. बहुत सुन्दर...बधाई दी ....सादर नमस्ते

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  4. सभी मित्रों को गांधी जयन्ती,लालबहादुर शास्त्री-जयन्ती,दुर्गापूजा एवं रामनवमी- पर्व की हार्दिक वधाई ! अच्छा प्रस्तुतीकरण !

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  5. क्या बात है वाह ....बहुत सुन्दर...बधाई

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  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    अष्टमी-नवमी और गाऩ्धी-लालबहादुर जयन्ती की हार्दिक शुभकामनाएँ।
    --
    दिनांक 18-19 अक्टूबर को खटीमा (उत्तराखण्ड) में बाल साहित्य संस्थान द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय बाल साहित्य सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।
    जिसमें एक सत्र बाल साहित्य लिखने वाले ब्लॉगर्स का रखा गया है।
    हिन्दी में बाल साहित्य का सृजन करने वाले इसमें प्रतिभाग करने के लिए 10 ब्लॉगर्स को आमन्त्रित करने की जिम्मेदारी मुझे सौंपी गयी है।
    कृपया मेरे ई-मेल
    roopchandrashastri@gmail.com
    पर अपने आने की स्वीकृति से अनुग्रहीत करने की कृपा करें।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
    सम्पर्क- 07417619828, 9997996437
    कृपया सहायता करें।
    बाल साहित्य के ब्लॉगरों के नाम-पते मुझे बताने में।

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    Replies
    1. आभार और बहुत बहुत धन्यवाद आपका ..... सादर

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