परवचन में कुशल बहुत मिलेंगे ..... मुझे मेरे जिन्दगी में ..... बहुत ऐसे मिले भी .... जिनके हाथी जैसे खाने के और दिखाने के और .... अलग अलग दांत थे ..... बिना अपनी जिन्दगी में अपनाये केवल परोपदेश देना .... गाल बजाने जैसा होता है .... केवल थ्योरी की बातें असरदार नहीं होती है .....
1982 में मेरी शादी आर्थिक रूप से समृद्ध मध्यम परिवार में इंजीनियर से हुई ..... उस समय भारत में ...... हम दो हमारे दो ..... दो बच्चे होते अच्छे ..... छोटा परिवार सुखी परिवार .... का नारा गूंज रहा था .... क्यों कि उस समय तक ..... अधिकतर लोगों को चार से छः बच्चे होते थे ..... जनसंख्या बढ़ने से बेरोजगारी बढ़ रही थी .... बेरोजगारी का असर मंहगाई पर भी पड़ती है ... बेरोजगारी हो और मंहगाई हो तो चारों तरफ त्राही त्राही मचना स्वाभाविक था .... तभी मेरे पति का निर्णय हुआ कि हम एक बच्चे को जन्म देंगे और उसकी ही परवरिश अच्छे से कर लें ..... यही बहुत होगा .... उस समय हमारे इस निर्णय से हमारे परिवार में एक तूफ़ान सा आ गया .... सभी का कहना था कि चार छः नहीं तो दो तीन तो होना ही चाहिए ..... समृद्ध होते हुए , भगवान का अपमान है .... कम बच्चा होना .... एकलौता बच्चा के सुख दुःख में कौन साथ देगा .... { संयुक्त परिवार टूटने के कगार पर था .... कारण था सुख-दुःख में साथ ना होना ही }
बाँझ का मुंह देखना चल भी जाता है ..... एकौंझ का मुँह देखना बहुत बड़ा अपसगुण है .......
बहुत बातों को सुनते .... नजरन्दाज करते हुए .... हम अपने निर्णय पर अडिग रहे और बाद में हमारे अनुकरण में हमारे देवर ननद का भी एक एक ही बच्चा रखने का निर्णय हुआ ...
मेरी ननद को एक बेटी ही रही मुझे एक और मेरे एक देवर को एक बेटा + एक बेटी तथा एक देवर को एक ही बेटा रहा .....
यानि जितने हम भाई बहन थे ..... उतने की ही संख्या बरकार रही ....
आज सभी बच्चे बड़े हो चुके हैं .... उनकी परवरिश में ... हमें ... कभी किसी तरह की कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ा .... चाहे उच्च शिक्षा दिलानी हो या चाहे उनकी पसंद की चीजे .... कहीं भी मन नहीं मारना पड़ा ..... जिस रफ़्तार से महंगाई बढ़ी .... हर क्षेत्र में कहीं ना कहीं समझौता करना पड़ सकता था ....
कम बच्चे होने से या यूँ कहें कम आबादी होने से भ्रष्टाचार पर लगाम कसी जा सकती है .... सुरसा महंगाई को रोका जा सकता है .....
इतने सालों में मेरा अनुभव ये रहा कि पेड़ की कटाई काफ़ी तेज़ी से हुई है ..... कंक्रीट का शहर बसाने का जरिया हो या उद्योग लगाने का हो .... रोजगार बढ़ाने का साधन बना हो या फैशन के अनुसार फर्नीचर बनवाने का हो ..... उसका नतीजा ही है ... आज की गर्मी का बढ़ना ..... बारिश का नहीं होना या पहाड़ का खिसकना .... क्षति से परेशान मनु अपनी गलती मानने के लिए तैयार नहीं है .... लेकिन मानना जरूरी है ..... उस क्षति की पूर्ति के लिए ... हर जगह मैं और मेरे परिवार के सदस्य , हर आयोजन पर पेड़ लगा रहे हैं ...... कई शहरों में अनेकों प्रकार के पेड़ हम लगा चुके हैं ..... और .... सभी से अनुरोध करते हैं कि हर आयोजन पर पेड़ लगा कर , पर्यावरण से प्रदुषण को दूर करने में सहायक बनें .....
TAKE THE WORLD and PAINT IT GREEN!
मेरी रानी बेटी Maya Shenoy Shrivastava |
पेड़ अधिक आबादी कम , इन बातों में बहुत है दम
सादर नमन
ReplyDeleteपेड़ अधिक आबादी कम ,
इन बातों में बहुत है दम
सादर
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 'स्वावलंबी नारी शक्ति को समर्पित 1350वीं बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
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