समाज में कई सवाल बिखरे पड़े हैं ..... सहना क्यूँ कब तक बहना ?
जब तक केवल वो बहु थी
कुछ नहीं रही उसकी औकात
न घर की ना घाट की !
जब बने सास तब होती खास
जमीर रहे गर उसकी जिंदा
बहु ले पाती चंद सांस !!
गृह त्याग तब क्यूँ नहीं की ….. जब कर्कशा सास हर आने जाने वाले रिश्तेदार को दहेज में कमी होने का रोना रोती और खुद महान होने का नाटक परोसती …..
गृह त्याग तब क्यूँ नहीं की …. जब बददिमाग मुंहफट ननद …. मझली भाभी के भाई को हरामी बोली …. मझली भाभी के हंगामा करने पर …. बड़ी भाभी के मुंह से निकल गया …. बबुनी को ऐसा नहीं बोलना चाहिए था ….. बड़ी भाभी का बोलना गुनाह इतना बड़ा हुआ कि उसके भाई को बुला कर घर छोड़ देने का आदेश मिला …. {बड़ी भाभी तब तक गर्भवती हो चुकी थी …. पुत्र जन्म देने पर उसके विरोध में उसके बेटे को ही खड़ा करने की जी तोड़ कोशिश की सबने}….. कैसे और कहाँ जाती इस दोखज़ समाज में …… उसके बाद तो सिलसिला शुरू हो गया ….. हर छोटी बड़ी बात पर घर से निकल जाने का आदेश पास हो हाज़िर हो जाता ….. देश का राष्ट्रपति मुंह पे ऊँगली रखे रहता है …. घर में पेटीकोट सरकार हो और कापुरुष हो संग तो ……. घर का सबसे बेगैरत बेरोजगार (काश ! हमेशा रहता ) छोटा बेटा रातो रात बड़ी भाभी के मइके जाता और उस समय जो आ पाता उसे वो साथ लेकर पौ फटते चला आता ….. मइके वाले शायद इसलिए चले आते समाज में प्रतिष्ठा बनी रहे ….. मझला बेटा बहू को सूरत का घमंड था …..काश कुछ सीरत भी मिला होता ….जिसे लूट सकता उससे सटता ….. लूटे माल पे इतराते घूमते ….. बड़ी भाभी का शिकायत करना ….. उनका मनपसंद शगल था ….. जड़ खोदता रहा ……
गृह त्याग तब क्यूँ नहीं की …. जब पति छोटी उम्र की स्त्रियों को साली और बड़ी उम्र के स्त्रियों को भौजाई कहता और उसके सामने ही फ्लर्ट करने की कोशिश करता ….. बिना उसके गलती को जाने समझे पूछे उसे पिट डालता …. कान का कच्चा बेटा पाकर डायन सास लगाती बुझाती रही पूरी जिन्दगी …..
आज अपने पति की बेवफाई सिद्ध होने पर ….. बिना पल गंवाये सिंदूर चुड़ी बिंदी उतार उसी पति को सौंप …. पथ पर भटकते हुए सोच रही है ….. इन्ही बेटों की परवरिश कर अहंकार से कर्कशा शारदा देवी कहती थी ……दीया लेकर खोजने निकलो तो मेरे बेटों जैसे बच्चे दुसरे नहीं मिलेंगे
अच्छा है दुनिया में एक ही परिवार ऐसा है ……
पति या पत्नी का बहकना
उसके पीछे होता
उसे मिले
संस्कार का होना
सहना तभी तक गहना
जब तक मान न गंवाना
हर भाई बहना समझना
waah kya baat vibha ji...
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 11-08-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2431 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
Bahut hi badhiya..
ReplyDeleteSatik lekh.
सवाल होते ही हैं बिखेरने के लिये सब हल हो गये फिर रहेगा क्या ? बस ईश भजन ।
ReplyDeletebadiya ...
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