तिरंगा शहीदों का कफन होता है ......
बलात्कार की शिकार हुई ..... बालाओं ..... नारियों का कफन क्या हो ?
बलात्कारियों के कमी नहीं होने से बेटियों की कमी हो जायेगी .... पहले बहुओं को जलाये जाने से हो रही थी ..... अपने बेटी से प्यार किये तो कौन सा जग जीत लिए .... शान तब है जब घर में बहुओं का मान है ....
चाहे कोई पार्टी हो ..... आखिर क्या कारण है
देश स्वतंत्र हुए 69 वर्ष हो गये ...... स्वतंत्र होने का अर्थ सबने अपने अपने हिसाब से लिया है ... कोई बलात्कारी हो कर कोई बलात्कारी को पनाह देकर ..... देश अपना मर्जी अपनी ..... रिश्तेदारी निभाना तब और भी जरुरी जब कुर्सी बचाए रखना हो ..... बलात्कारी खुद हो या किसी ना किसी का .... मामा .... काका ..... साला .... बेटा हो जाता है ......
स्व
सोर
विहन्ता
स्वाधीनता
कोटि कुर्बानी
भूले मंत्री संत्री
दुष्कर्मी को पोषते {01}
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हो
टोल
ठठोल
कुर्सी झोल
आजादी मोल
बढ़ा बड़-बोल
निहाल चाटु लोल {02}
लिखने कुछ बैठती हूँ .... लिखती कुछ हूँ ..... लिखना चाहती थी तिरंगे के शान में ..... स्वतंत्रता के मान में .... दिमाग तो उलझा है ..... बलात्कार
हो
ReplyDeleteनाम
आजादी
का या फिर
बरबादी का
नहीं बना पाई पिरामिड
ReplyDeleteकोशिश करें सुंदर बनेगा
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