Wednesday 10 May 2017

“नया सवेरा”





रुग्न अवस्था में पड़ा पति अपनी पत्नी की ओर देखकर रोने लगा, “करमजली! तू करमजली नहीं... करमजले वो सारे लोग हैं जो तुझे इस नाम से बुलाते है...”
“आप भी तो इसी नाम से...”!
“पति फफक पड़ा... हाँ मैं भी... मुझे क्षमा कर दो”
“आप मेरे पति हैं... मैं आपको क्षमा... क्या अनर्थ करते हैं...”
“नहीं सौभाग्यवंती...”
“मैं सौभाग्यवंती...! पत्नी को बहुत आश्चर्य हुआ...”
“आज सोच रहा हूँ... जब मैं तुम्हें मारा-पीटा करता था, तो तुम्हें कैसा लगता रहा होगा...” कहकर पति फिर रोने लगा
 समय इतना बदलता है... पति के कलाई और उँगलियों पर दवाई मलती करमजली सोच रही थी... अब हमेशा दर्द और झुनझुनी से उसके पति बहुत परेशान रहते हैं... एक समय ऐसा था कि उनके झापड़ से लोग डरते थे... चटाक हुआ कि नीला-लाल हुआ वो जगह... अपने टूटी कान की बाली व कान से बहते पानी और फूटते फूटती बची आँखें कहाँ भूल पाई है आज तक करमजली फिर भी बोली “आप चुप हो जाएँ...”
“मुझे क्षमा कर दो...”
पत्नी चुप रही कुछ बोल नहीं पाई
“जानती हो... हमारे घर वाले ही हमारे रिश्ते के दुश्मन निकले... लगाई-बुझाई करके तुझे पिटवाते रहे... अब जब बीमार पड़ा हूँ तो सब किनारा कर गये... एक तू ही है जो मेरे साथ...
“मेरा आपका तो जन्म-जन्म का साथ है...’
पति फिर रोने लगा... मुझे क्षमा कर दो...”
“देखिये जब आँख खुले तब सबेरा... आप सारी बातें भूल जाइए...”
“और तुम...”?
“मैं भी भूलने की कोशिश करूँगी... भूल जाने में ही सारा सुख है...”
पत्नी की ओर देख पति सोचने लगा कि अपनी समझदार पत्नी को अब तक मैं पहचान नहीं सका... 
आज आँख खुली... इतनी देर से

3 comments:

  1. बेहतरीन सही में जब जागो तब ही सवेरा

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  2. देर आयद
    दुरुस्त आयद
    बड़ी दीदी को नमन

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  3. भूल जाने में ही सारा सुख है

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आपको कैसा लगा ... यह तो आप ही बताएगें .... !!
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अनुभव के क्षण : हाइकु —

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