Saturday 20 May 2017

"सीख"



“गुरु जी एक लघुकथा लिखने का विचार आया है”
“तो लिख डालो, किस उलझन में हो! आधार बिंदु क्या है लेखन का?”
“एक लड़का और एक लड़की बचपन से पड़ोस में रहते हैं... दोनों के बीच भाई बहन का रिश्ता रहता है... लड़की लड़के को भैया कहती है... केवल भैया कहती ही नहीं राखी भी बाँधती है... जब दोनों युवा होते हैं ,तो शादी कर लेते हैं...
“ये क्या लिखना चाहती हो... ऐसा कहीं होता है?”
“सत्य घटना है! सच्चाई है मेरी बातों में!”
“भाड़ में जाए ऐसी सच्चाई ... सत्य घटना है तो न्यूज़ पेपर की खबर बन छपने दो ... सत्य कथा लिखने का आधार बने .... तुम लघुकथा लिख रही हो .... समाज को एक संदेश देने का काम है लघुकथा लेखन ... सत्य हो या ना हो यथार्थ हो .... क्या तुम ऐसी बात लिख ये संदेश देना चाहती हो कि बचपन से राखी बाँधने का कोई मूल्य नहीं .... जब जो चाहे रिश्ते का रूप बदल दे सकता है! सत्य तो आज समाज में ये भी है कि सगा भाई-बाप .......... तो क्या लिखने के लिए यही बचा है .... धत्त ”
“तो क्या करूँ गुरु जी .... बातें झूठ लिखें”
“झूठ लिखने की सलाह तुम्हें कौन दे रहा है... अंत ऐसा कर सकती हो “जब दोनों शादी का निर्णय किये तो दोनों परिवारों में बहुत हंगामा हुआ .... विद्रोह होने से रंजिशें बढने लगी ... परिवार के खिलाफ जाकर दोनों ने शादी नहीं की .. आजीवन एक दुसरे के नहीं हुए तो किसी और के भी नहीं हुए ....

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@हर विधा का अपना अपना अनुशासन होता है
या तो अनुशासन मानों या विधा में लेखन ना करो
चयन करना रचनाकार का काम है

4 comments:

  1. दो पीढ़ियों के बीच वैचारिक द्वंद को सार्थक संदेश के साथ आपने बखूबी पेश किया है।

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  2. सटीक और सुन्दर लघुकथा।

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  3. विधा मानो सच को छुपाकर.....
    फिर परिवर्तन कैसे....

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  4. सुन्दर और सटीक..विभा ब्लॉग दिवस की बधाई विभा

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