आँख गहना
आंसू के कई रूप
5-7-5-7-7
आँख बिछुड़ी
माँ आँचल समाती
मोती बनती
धरा अंग लगाती
आंसू धूल सानती
5-7-5-7-7
साथ छोड़ते
पथराई आँखों का
नहीं निभाते
कपकपाते होठ
बे-दर्द आंसू बैरी
5-7-5-7-5-7-5-7-7
आँख से टूट
बंदनवार तनी
बरौनी पर
गम आंसू छोड़
पोली बांसुरी
गुनगुनाने वाली
जिंदगी धुन
हृदय तान संग
विरला बजाता है
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बहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब छंद हैं सभी ... दिल की छूते हुए ...
ReplyDeleteसुन्दर क्षणिकाएं.
ReplyDelete:-)
sundar rachna di ..
ReplyDeleteवाह बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteसाधुवाद.
ReplyDeleteक्या बात ! क्या बात ....... सभी बहुत सुन्दर |
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना.
ReplyDeleteवाह ... बहुत ही बढिया ... इस उत्कृष्ट अभिव्यक्ति के लिये आभार
ReplyDeleteआप की इस रचना में खास यह पंक्तियाँ बहुत पसंद आई है ..
ReplyDeleteगम आंसू छोड़
पोली बांसुरी
गुनगुनाने वाली
जिंदगी धुन
हृदय तान संग
विरला बजाता है