Sunday, 6 July 2014

हाइकु


जिस दिन व्योम जी कोई हाइकु पास करते हैं …. लगता है सार्थक हुआ सीखना .....



हँसती बूंदें
बूढी छतरी देख
आस तोड़ती।

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वादों को ढोता
वक़्त कुली बना है
कर्म मजूरी। 

2

भू है उदास 
आस मेघ पालकी 
हवा कहार। 

3

दूर है छोर 
पर देते हैं पीड़ा 
पर क़तर। 

=

12 comments:

  1. बहुत खुबसूरत हायकू..बधाई विभा..

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  2. सुंदर प्रस्तुति आदरणीय , आप की ये रचना चर्चामंच के लिए चुनी गई है , सोमवार दिनांक - ७ . ७ . २०१४ को आपकी रचना का लिंक चर्चामंच पर होगा , कृपया पधारें धन्यवाद

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    1. स्नेहाशीष शुक्रिया .... आभारी हूँ ....

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  3. बहुत ही मानीख़ेज़ हाइकू हैं दीदी!

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  4. सुन्दर हाइकु, बधाई.

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  5. सुन्दर उपमान और उपमेय |
    नई रचना उम्मीदों की डोली !

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  6. वाह ... बहुत ही सुन्दर हाइकू हैं सभी ...

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  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

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  8. बहुत ही सुन्दर हाइकू

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  9. खूबसूरत हाइकु, सुंदर हाइगा…बधाई स्वीकारें!

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