रोती दीवारे
परित्यक्त है घर
छीजते रंग
या
रोती है भीति
दीवट सूना पडा
छीजते रंग।
हो ना दमन
स्वप्नों पे पोते मसि
क्रोध अगन।
=====
छिपा तरङ्गी
अन्नत के अन्दर
शांत समुन्द्र।
आस से भरे
रौशनी का शहर
नभ व तारे।
======
पक के गढ़ा
हिय शीतल करे
धरा का कण।
चट से फूटे
जीवन बुलबुला
चुलबुला है।
चुलबुला है
आत्मा कुलबुलाये
आवाजाही है।
बहुत सुंदर हायकू.
ReplyDeleteनई पोस्ट : अपेक्षाओं के बोझ तले सिसकता बचपन
सुंदर हाइकू .....
ReplyDeleteआपकी हाइकू मुग्ध करती है दीदी! कम शब्दों में जीवन दर्शन छिपाए!
ReplyDeleteसुंदर हाइकु , बेहतरीन आ. धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
आपकी इस रचना का लिंक कल दिनांक - ११ . ७ . २०१४ को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर होगा , कृपया पधारें धन्यवाद !
ReplyDeleteआभारी हूँ .... बहुत बहुत धन्यवाद आपका
Deleteस्नेहाशीष
हाइकू छोटा होता है पर बात बड़ी कहता है !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सारगर्भित हायकू..
ReplyDeletebahut sundar.............
ReplyDelete