नीतू भतीजी , डॉ बिटिया महक , प्रीती दक्ष , स्वाति , मोनिका
संग
बहुत सी बिटिया
रब ने दिलाई
कोखजाई एक भी नहीं
ना इनमें से किसी से
मेरा गर्भनाल रिश्ता है
लेकिन जो रिश्ता है
उसके लिए गर्भ का
होना न होना मायने नहीं रखता है
हम एक दूसरे के आंसू
शायद ना पोछ पायें
लेकिन आंसू दिखलाने में
कमजोर महसूस नहीं करते हैं
खुशियाँ बांटने के लिए भी
बच्चों की तरह उछलते हैं .......
आप सोच रहे होंगे , आपको बता बोर क्यों कर रही हूँ ......
बेटिया वो ही नहीं होती , जिसे हम जन्म देते हैं ....
तब तो प्यारा तोता पिंजरा में हो गया
सिंधु कुँए में कैद हो गया
सोच का दायरा बढ़ना चाहिए
बेटा जोरू का गुलाम
समझा नहीं जाना चाहिए
दमाद बेटी को खुश रखता है
आप खुश होती हैं न
बेटा को ही प्यार करने से , यशोदा को नहीं जाना जाता
यादो को आपने खूबसूरती से सहेजा है... आपकी ये पोस्ट मुझे बहुत पसंद शानदार लिखने के लिए बधाई स्वीकारें :)
ReplyDeleteबहुत ख़ूब, शब्दों से परे
ReplyDeleteखूबसूरती से सहेजा है यादो को
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार, कल 31 दिसंबर 2015 को में शामिल किया गया है।
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमत्रित है ......धन्यवाद !
Anupam bhaavon se saji mn ko chhuti rachna......
ReplyDeleteNav varsh ki anant shbhkamnayen