Wednesday, 28 December 2016

हत्या



“हां हां हां हां ! ये क्या कर रही हो , बौरा गई हो क्या ? सब मीटियामेट कर डाला , धुंध की वजह से अभी तो बने घड़े का पानी नहीं सूखा था। तेरे डाले पानी के भार को कैसे सहता ? देख सारे घड़े फिर मिट्टी के लोदा हो गये"। ोचुन्नी को कच्चे घड़े में पानी भरते देख उसकी माँ चीख ही पड़ी ।

“हाँ! बौरा जाना मेरा स्वाभाविक नहीं है क्या ? आठ साल की दीदी थी तो जंघा पर बैठा दान करने के लोभ में आपलोगों ने उसकी शादी कर दी …. दीदी दस वर्ष की हुई तो विदा होकर ससुराल चली गई । ग्यारहवे साल में माँ बनते बनते भू शैय्या अभी लेटी है “ ना चाहते हुए भी चुन्नी पलट कर अपनी माँ को जबाब दी।

8 comments:

  1. सस्नेहाशीष संग शुक्रिया

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  2. हत्या जिसकी कोई सजा नहीं होती है कहीं ।

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  3. मर्मस्पर्शी प्रस्तुति

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  4. हमारे समाज का सच कहती कहानी
    http://savanxxx.blogspot.in

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  5. उत्‍कृष्‍ट भाावपूर्ण से ओत प्रोत यह रचना दिल को झकझोोरने वाली है -

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  6. उत्‍कृष्‍ट भाावपूर्ण से ओत प्रोत यह रचना दिल को झकझोरने वाली है -

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