-एक्सपायरिंग डेट हो गई हैं आप अम्मा जी"
-चल इसी बात पर कुछ चटपटा बना खिला" खिलखिलाते हुए पचासी साल की सास और अड़तीस-चालीस साल की बहू चुहल कर रही थी
-आज मुझे *एक दीया शहीदों के नाम* का जलाने जाना है... काश ! आप भी..."
-पोते की शादी चैन से देख लेने दे"
-यानि अभी और भी पंद्रह-बीस साल..."
-और नहीं तो क्या... क्या कभी सबके श्राप फलित होते देखी है..."
-आपके पहले मैं या मेरे पहले आप टिकट कटवाएँगे सासु जी..."
-संग-संग चलेंगे... समय के साथ खाद-पानी-हवा का असर होता है" दोनों की उन्मुक्त हँसी गूंज गई...
एक्पासयरी डेट
ReplyDeleteएक अच्छी व प्यार भरी चुहुल
पर चटपटा खाने की चाह
न गई है...और न कभी जाएगी
सादर....
दिनांक 17/10/2017 को...
ReplyDeleteआप की रचना का लिंक होगा...
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी इस चर्चा में सादर आमंत्रित हैं...
बहुत खूब ...,
ReplyDeleteबढ़िया !
ReplyDeleteसुन्दर।
ReplyDeleteकम शब्दों में एक अच्छा.... सन्देश
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