"देखो! देखो... कोई दरवाजे का ग्रिल काट रहा है... कोई तो उसे रोको ! अंदर आकर वो मुझे भी मार डालेगा..."
"आपको ऐसा क्यूँ लग रहा है ? मुझे तो कोई दिखलाई नहीं दे रहा है..."
"हाँ नाना जी , नानी जी सही बोल रही हैं! हमें कोई नहीं दिखलाई दे रहा है..."
"देखो ! देखो... बिस्तर पर आकर वो बैठ रहा है..."
बड़ा बेटा विदेश बस गया था और छोटा बेटा घर जमाई बन गया था... बेटी संग रहती थी लेकिन अपने बेटे के नौकरी पर जाने की इच्छा जब से वो बताई थी तभी से ऐसी बातें करने लगे थे बद्री प्रसाद..."
आज ही उनका नाती उनकी बेटी को लेने आया तो उनका कुछ ज्यादा ही बड़बड़ाना शुरू हुआ
"देखो!देखो! कोई आया"
कितना संग दे बेटी भी
ReplyDeleteपर खुशकिस्मत है बेटी
जो उसका लड़का उसके साथ रहने को तैयार है
हश्र ...जो लिखा है..होना ही है
सादर
जी
Deleteसस्नेहाशीष संग शुक्रिया
बहुत सुंदर भाव प्रदान लेख.. वास्तविकता को संजोए हुए... बधाई।
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