Monday, 19 August 2019

अनाधिकार सीख

आप हजार से लाख लेकर पाठ करने वाले/वाली मंचीय कवि-कवयित्री हैं तो मैं आपको कुछ कह सकूँ इस के काबिल नहीं क्यों कि आपके वश में साहित्य सेवा तो है नहीं क्यों कि मलाई(क्रीम जो छाली से बनती है) पर पलने वालो/वालियों के पास एक-दो रचना बेची जाने योग्य ही होती है... और आयोजनकर्त्ता के पास एक-दो-तीन को बुलाने की ही हैसियत होती है आपके नाम पर उन्हें दान भी मिला होता है.. आपके नाम पर मतवाली भीड़ जुटी है... अपना-अपना दाना-पानी लेकर.. गुलशन नन्दा/रानू/अनेकानेक उपन्यासकार जयंती दिवस/मोक्ष दिवस शुरू नहीं हुआ अभी तक... अतः आप चेत नहीं सकते..

लेकिन
–आप अगर साहित्य-सेवा में रत हैं और आपको दस-बीस के संख्या के साथ सुनने वाली भीड़ जो बिना सुनाये जाएगी तो आयोजनकर्त्ताओं को चार बातें आयोजन स्थल पर ही सुनाएगी के साथ बुलाया गया है तो समय का ख्याल रखते हुए विषयों के विभिन्नताओं का भी ख्याल रखें...
–मंच संचालक महोदय यह ख्याल रखें कि वक्ता और श्रोता की भीड़ केवल आपको सुनने नहीं आई है और ना आज ही यह मौका है कि आप ग़ालिब से गुलज़ार के रचनाओं को तो सुनाए ही अंत में मैं भी महत्त्वपूर्ण साबित करें अपनी लम्बी रचना के साथ.. जबकि आप अन्य रचनाकारों को जगाते रहे हैं कि समय कम है और सुनाने वाले ज्यादा अतः छोटी रचना सुनायें... छोटी रचना सुनायें..

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