"जब आने वाले पूछते थे - तबीयत खराब है क्या? आप कहते- नहीं। दरख्त अब बीज बन रहा है। एक कविता भी लिखी आपने- कल तक जो एक दरख्त था, महक, फूल और फलों वाला, आज का एक जिक्र है वह, जिंदा जिक्र है, दरख्त जब बीज बन गया है, हवा के साथ उड़ गया है, किस तरफ अब पता नहीं। उसका अहसास है मेरे साथ।
आज फिर वो दरख्त अब बीज बन रहा है। मुझे भी उस एहसास को संजोते रहना है..., 'वन ट्रैक माइंड' वाले इंसान...," अवसर था अमृता प्रीतम के जन्मशताब्दी समारोह का एकांत दिल की बातें कहने का अवसर दे डाला।
इमरोज को हद से ज्यादा चाहने लगी थी रौशनी.. रौशनी को लगा कि अभी उसका दायित्व है इमरोज के साथ रहना और अपना कर्तव्य निभाना... इमरोज इसकी अनुमति दे नहीं रहे थे..।
"पागल मत बनो... सरहद रक्षार्थ दिल में लगी गोली सा होता है इश्क...,"
सस्नेहाशीष संग हार्दिक आभार बहना
ReplyDeleteपागल मत बनो... सरहद रक्षार्थ दिल में लगी गोली सा होता है इश्क...,
ReplyDeleteबहुत सही कहा था इमरोज ने इसीलिए जीवन होम दिया एक गैर परम्परागत इश्ह्क के लिए | सादर प्रणाम और शुभकामनाएं आदरणीय दीदी |