किसी ने किसी के
कहे पर विश्वास किया
उस किसी के कहे पर
अन्य किसी ने विश्वास किया
और
उन तिगड़ी की बातों पर
अन्य कई लोग
पथगामनी बने
किसी बच्चे ने
ताश के बावन पतों को
एक पे एक सजा कर
ऊँचा और ऊँचा सजा दिया
और एक हल्के से स्पर्श से
ढह गया
विश्वास का गलत निकलना
वही ढहाया गया ताश के पत्ते
विध्वंस है
आँखें कुछ कहती हैं
निभाये कर्म कुछ कहते हैं
जुबान से कही बातें
सार्थक जब नहीं होती है
छल लेना ज्यादा आसान
या छला जाना ..
ना जाने कब तक
सुल्तान बाबा भारती
खड़क सिंह के किस्से
पढ़े कहे सुने जाते रहेंगे
कहे पर विश्वास किया
उस किसी के कहे पर
अन्य किसी ने विश्वास किया
और
उन तिगड़ी की बातों पर
अन्य कई लोग
पथगामनी बने
किसी बच्चे ने
ताश के बावन पतों को
एक पे एक सजा कर
ऊँचा और ऊँचा सजा दिया
और एक हल्के से स्पर्श से
ढह गया
विश्वास का गलत निकलना
वही ढहाया गया ताश के पत्ते
विध्वंस है
आँखें कुछ कहती हैं
निभाये कर्म कुछ कहते हैं
जुबान से कही बातें
सार्थक जब नहीं होती है
छल लेना ज्यादा आसान
या छला जाना ..
ना जाने कब तक
सुल्तान बाबा भारती
खड़क सिंह के किस्से
पढ़े कहे सुने जाते रहेंगे
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 21 अक्टूबर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteसस्नेहाशीष व असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार छोटी बहना
Deleteविश्वास में से ही धोखा बाहर निकल के आता है, कोई अनजान या बाहरी व्यक्ति एकदम आकर धोखा दे जाय, यह बहुत कम देखा जाता है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
शुभ-दीपावली!
सुंदर गहन अर्थों से सजी अभिव्यक्ति दी।
ReplyDelete-----
मन का विश्वास जब दरकता है
भावों के दरिया में दर्द बहता है
आँखे मूँद के जब किसी पर विश्वास किया जाए ओर वो ही धोखा दे दे तो दिन में तारे दिखा देता है
ReplyDeleteसुन्दर रचना
सुन्दर
ReplyDeleteविश्वास के धागे पर आए बार कांच का कॉट लगाना पड़ता तब जाकर वो पक्का रह पाता है वरना तो इससे कमजोर धागा कोई है 'इच नहीं।
ReplyDeleteअच्छी रचना।
कहानी ,कहने-सुनने भर की चीज़ है शंका वहाँ भी रह जाती है.
ReplyDeleteप्रशंसनीय
ReplyDeleteबहुत ही संजीदा लेखन
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 01 जनवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
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