Wednesday 5 December 2012

क्या कहते हो !! तब क्या होता ....... ???






Sweet I am ,   
but
Honey is U ....


Image is mine,
but
Colours are U ....


Flower is me,
but
Frangnance is U ....


Happy I am ,
but
Reason is U ....


क्या कहते हो !! 

Mehboob Shrivastava  Betu I Love U ♥

अच्छे पल पर बुरे पल भी याद आते हैं मुझे .... !!

सन 1993 की बात है .... तब महबूब(7साल) कक्षा तीन में पढ़ता था .... !!
उस समय हमलोग केन्दपोसी में रहते थे .... केन्दपोसी झारखण्ड का एक छोटा सा गाँव है .... बात उस वक़्त की है , जब बिहार-झारखंड बंटा नहीं था .... बांटने के लिए आन्दोलन चल रहा था .... !!
केन्दपोसी में कोई स्कूल नहीं होने के कारण , महबूब , झिंकपानी ( केन्दपोसी से 30 किलोमीटर दूर ,जहाँ सीमेंट फैक्ट्री है ) के D. A. V. स्कूल में पढ़ने जाता था .... !!
घर से झिंकपानी के बस स्टॉप तक की दुरी थी 25 किलोमीटर .... झिंकपानी के बस स्टॉप से स्कूल तक की दुरी थी 5 किलोमीटर .... !!
घर से स्कूल जाने की सुविधा , लोकल बस + स्कूल बस थी ........ !!
घर से झिंकपानी के बस स्टॉप तक लोकल बस से जाता था और वहाँ जो स्कूल बस , चाईबासा से बच्चों को लेकर आती , उस बस से ही महबूब भी स्कूल चला जाता .... स्कूल के लिए महबूब को सुबह के 5 बजे लोकल - बस पकड़ना पड़ता था और घर वापस लौटते - लौटते शाम के 5 बज जाते थे ..... !!
केन्दपोसी और झिंकपानी के बीच में पड़ता था हाटगम्हरिया .... हाटगम्हरिया में दो रास्ता था , एक केन्दपोसी (तब बिहार) की तरफ और दूसरा उड़ीसा की तरफ जाता था ....
आये दिन , आन्दोलन के कारण लोकल बस की आने-जाने पर रोक लग जाती थी .... कभी-कभी ऐसा होता था कि महबूब स्कूल चला जाता था , तब बस बंद हो जाती थी .... बस को वापस लौटाते समय , बस का खलासी हमारे स्टाफ को सूचित कर देता और स्टाफ महबूब के पापा को खबर करता और वे कोई व्यवस्था कर महबूब को स्कूल से वापस ले आते .... !!
एक दिन महबूब स्कूल चला गया .... तब आन्दोलन शुरू हो गया और आन्दोलन की वजह से बस उसे छोड़ कर वापस लौट गई .... बस का खलासी हमारे स्टाफ को भी सूचित कर दिया ......... लेकिन संजोग से महबूब के पापा उस दिन रांची गए हुए थे .... स्टाफ मुझे सूचित करना जरुरी नहीं समझा .... !!
महबूब की जब स्कूल से छुट्टी हुई और वो बस-स्टॉप पर पहुंचा तो उसे पता चला , लोकल बस तो अब आएगी नहीं .... तो वो एक ट्रक से लिफ्ट लिया .... ट्रक पर चढ़ने के बाद उसे नींद लग गई ....
कुछ देर के बाद उसकी नींद खुली तो उसे रास्ता जाना-पहचाना नहीं लगा .... उसे समझ में आ गया कि वो गलत रास्ते पर जा रहा है .... वो ट्रक वाले से बोला कि उसका घर आ गया है .... उसे यहीं उतरना है .... ट्रक वाला उसे वही उतार कर चला गया .... महबूब वहाँ से फिर एक जीप से लिफ्ट लिया और वापस हाटगम्भरिया के दोराहे वाले जगह पर पहुंचा और वहाँ से फिर एक ट्रक से लिफ्ट ले कर घर(केन्दपोसी) पहुंचा .... अगर महबूब उस समय समझदारी और हिम्मत से काम नहीं लिया होता तो आज वो मेरे पास नहीं होता .......

 तब क्या होता ............. ?????

1 comment:

  1. सस्नेह,महबूब को ढेर सारी शुभकामनाये,,,

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