Sunday 28 September 2014

हाइकु


1
श्रद्धा व आस
प्रतिमा बने मूर्ति 
आन बसे माँ।

2
त्रिदेवी शक्ति 
विरिंच भी माने माँ 
जग निहाल।

3

4
साँझ सबेरे 
लोहित भू गगन
उबाल मारे




== गगन और भू  ==

स्त्री-पुरुष प्रतीक हैं 
जो रिश्ते के 
बचपन और बुढापे में 
बहुत गर्मजोशी में रहते हैं 
जैसे उबलते रहते हों .... 
इसलिए खून की तरह लाल हैं .... 
बीच अवस्था में तो 
सब बस नून तेल लकड़ी के 
जुगाड़ में ही रहते हैं ....
कूल कूल 
उबलने की फुर्सत कहाँ 
i am right or Wrong??

5
घर गमले 
स्त्री-वट हो बोंजाई
रिश्ते सम्भाले।

6
रफ्फु थे जख्म
यादें खुरच डाले
जलाये चैन।

7
हँस पड़ती
पथ दिखाती ज्योति 
सहमी निशा।

==


16 comments:

  1. घर गमले
    स्त्री-वट हो बोंजाई
    रिश्ते सम्भाले।.....bahut badhiya

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  2. प्रभावी, सुंदर हाइकू, बधाई आपको
    नवाकार

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  3. Replies
    1. स्नेहाशिष .... शुक्रिया भाई .... आभार

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  4. आपका मेरे blog पर आना मुझे निहाल कर जाता है
    आभारी हूँ .... बहुत बहुत धन्यवाद आपका ...
    सादर _/\_

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  5. रफ्फु थे जख्म
    यादें खुरच डाले
    जलाये चैन।

    प्रभावी, सुंदर हाइकू,आनद आ गया पढ़कर

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  6. sunder rachna bahot kub .......!!

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  7. Replies
    1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 22 अगस्त 2015 को लिंक की जाएगी ....
      http://halchalwith5links.blogspot.in 
      पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

      Delete

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