विषय - सूखे गीले का गिला
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घटा घरनी
सूखे गीले का गिला
कान उमेठूँ
मनुहार सुनोगे
जाल विछाये
मनोहर दृश्य हो
भ्रम फैलाये
श्वेत श्याम बादल
साथ धमके
बरसे न बरसे
दे उलझन
दुविधा में सताए
काम बढाये
आँख मिचौली खेले
घर बाहर
दौड़ती गृहलक्ष्मी
वस्त्र सुखाती
माथापच्ची करती
रेस लगाती
पल दुरुपयोग
क्रोध बढ़ाये
स्वयं की आपबीती
भयावहता
मेघ पर बरसे
दे उलाहना
नौटंकी तुझे सूझे
परे तू हट
बरसो या घिसको
समझूँ तुझे
ना उलझाओ मुझे
धनक दिखा
काम है निपटाने
सीलन है हटाने
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बहुत बढ़िया.
ReplyDeleteSundar...shikayat achi hai
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति !
ReplyDeleteआभारी हूँ ..... बहुत बहुत धन्यवाद आपका
ReplyDeleteवाह ! अति सुन्दर ! बादलों के साथ यह संवाद बहुत मन भाया !
ReplyDeleteविभा जी चोका के बारे में विस्तार से बताइये ना प्लीज़ !
ReplyDeleteशुभ प्रभात
Deleteजपानी विधि कविता लिखने की
हाइकु 5/7/5 ..... ताँका 5/7/5/7/7 .... सेदोका 5/7/7/5/7/7 .....
चोका 5/7/5/7/5/7/5/7/5 की अनगिनत पंक्ति हो सकती है लेकिन अनर्थक ना हो ये लम्बी गाने वाली कविता होती है जो लिखी जाती है अंत में 7/7 हो
सादर
बहुत सुन्दर और रोचक...
Deleteबहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार आपका विभा जी ! आपसे इन नयी विधाओं के बारे में जानकारी मिली ! अब इनमें अभ्यास करने का प्रयास करूँगी ! अब तो आप मेरी गुरू बन गयी हैं ! शिष्या का प्रणाम स्वीकार करें !
ReplyDeleteआप अग्रजा हमेशा रहीं ..... plz गुरु कह शर्मिंदा ना करें सादर ..... आशीर्वाद बनायें रखें .... लिखना तो आपलोगों का लिखा पढ़ कर ही सीख रही हूँ ....
Deleteउफ़ .. कितने काम ...
ReplyDeleteखूब....
ReplyDeleteकाम ही काम
ReplyDeleteकभी नहीं आराम
.बहुत सुन्दर चोका ..
सुन्दर भावाभिव्यक्ति, कमाल का चोका...
ReplyDeleteसुंदर व प्यारी रचना !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
चोका समझ नहीं आया आज तो हमे
ReplyDeleteकोई एक पंक्ति बताने का कष्ट करें जहां से शुरुआत करे समझाने की plz
Deleteबहुत सुन्दर और रोचक...
ReplyDeleteबरसो या घिसको
ReplyDeleteसमझूँ तुझे
मेघ को गृहस्वामिनी बोल रही है बरसना है तो बरसो नहीं तो यहाँ से जाओ घिसको
Deletebahut sunder choka
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