एक मुक्तक
प्यार का बदला मिले सम्मान कम से कम हक़ तो होता है
मृत सम्वेदनाओं वाले पले आस्तीन में सांप शक तो होता है
अदब-तहज़ीब को भूल कर खुद को ख़ुदा से ऊपर समझे
हाय से ना डरने वाला जेब से नही दिल से रंक तो होता है
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एक क्षणिका
मौत का आभास नहीं मुझे
लेकिन
जिन्दगी में युद्ध नही
जीने के लिए तो
जीने में मज़ा नही
उबना नही चाहते
बिना समय मारे
मरना नही चाहते।
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ताँका
1
बेदर्दी शीत
विग्रही गिरी हारे
व्याकुल होता
विकंपन झेलता
ओढ़े हिम की घुग्घी।
2
फिरोजा होती
प्रीत बरसाती स्त्री
शीत की सरि
ड्योढ़ी सजी ममता
अंक नाश समेटे।
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एक क्षणिका
मौत का आभास नहीं मुझे
लेकिन
जिन्दगी में युद्ध नही
जीने के लिए तो
जीने में मज़ा नही
उबना नही चाहते
बिना समय मारे
मरना नही चाहते।
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ताँका
1
बेदर्दी शीत
विग्रही गिरी हारे
व्याकुल होता
विकंपन झेलता
ओढ़े हिम की घुग्घी।
2
फिरोजा होती
प्रीत बरसाती स्त्री
शीत की सरि
ड्योढ़ी सजी ममता
अंक नाश समेटे।
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sundar muktak di .. kshnika bhi badhiya ..haiku umda :)
ReplyDeleteएक साथ आपने तो सारे रंग बिखेर दिये दीदी! मुक्तक की प्रशंस करूँ या क्षणिका की तारीफ... सब बहुत ख़ूबसूरती से पिरोये हुये!!
ReplyDeletebahut-bahut sundar ....
ReplyDeleteबहुत ख़ूब...मुक्तक, क्षणिका और ताँका सब के सब उम्दा...
ReplyDeletebahut umdaa
ReplyDeleteअदब-तहज़ीब को भूल कर खुद को ख़ुदा से ऊपर समझे
ReplyDeleteहाय से ना डरने वाला जेब से नही दिल से रंक तो होता है
सही कहा है.
बहुत सुन्दर .....नमस्ते दी
ReplyDeleteख़ूबसूरती से पिरोये मुक्तक
ReplyDeleteअति सुन्दर भाव
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