1
साँझ ले आई
नभ- भेजा सिंधौरा
भू मांग भरी।
2
झटकी बाल
नहाई निशा ज्यूँ ही
ओस छिटके।
3
पीड़ा मिटती
पाते ही स्नेही-स्पर्श
ओस उम्र सी ।
4
बिज्जु की लड़ी
रजतमय सजी
नभ की ड्योढ़ी।
5
सुख के तारे
लूता-जाल से घिरे
तम के तले।
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शीत ढिठाई
स्वर्ण चोरी कर ले
सहमा रवि
दहकता अंगार
हिम को रास्ता दे दे।
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लूक सहमे
सूर्य-तन में लीन
शीत का धौंस
ठिठुरी या गुलाबी
मानिनी भू रहती।
*मानिनी =गर्भवती
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चटके रिश्ते
सर्द हवा मिलते
छल – धुंध से
दिल की आग बुझी
बर्फ जमती जाती।
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शीत ऋतु के स्वागत में सुंदर हाइकु...बधाई
ReplyDeleteअति सुन्दर हाइकु
ReplyDeleteसुंदर हाइकु
ReplyDeleteआपने तो बहुत प्यारा लिखा है