Wednesday 5 November 2014

शीत आगमन




1
साँझ ले आई 
नभ- भेजा सिंधौरा
भू मांग भरी।

2
झटकी बाल
नहाई निशा ज्यूँ ही 
ओस छिटके।

3
पीड़ा मिटती
पाते ही स्नेही-स्पर्श
ओस उम्र सी ।

4
बिज्जु की लड़ी
रजतमय सजी 
नभ की ड्योढ़ी।

5
सुख के तारे
लूता-जाल से घिरे 
तम के तले।

=======

शीत ढिठाई 
स्वर्ण चोरी कर ले
सहमा रवि 
दहकता अंगार
हिम को रास्ता दे दे।

======
लूक सहमे
सूर्य-तन में लीन
शीत का धौंस
ठिठुरी या गुलाबी
मानिनी भू रहती।

*मानिनी =गर्भवती

========
चटके रिश्ते
सर्द हवा मिलते
छल – धुंध से
दिल की आग बुझी
बर्फ जमती जाती।

========

3 comments:

  1. शीत ऋतु के स्वागत में सुंदर हाइकु...बधाई

    ReplyDelete
  2. सुंदर हाइकु
    आपने तो बहुत प्यारा लिखा है

    ReplyDelete

आपको कैसा लगा ... यह तो आप ही बताएगें .... !!
आपके आलोचना की बेहद जरुरत है.... ! निसंकोच लिखिए.... !!

अनुभव के क्षण : हाइकु —

मंजिल ग्रुप साहित्यिक मंच {म ग स म -गैर सरकारी संगठन /अन्तरराष्ट्रीय संस्था के} द्वारा आयोजित अखिल भारतीय ग्रामीण साहित्य महोत्सव (५ मार्च स...