"चाय बना दो!"
"बस जरा दूध ले आऊँ..।"
गिरते भागते दूध लाई चाय बना कर दी... साबूत मूंग बनाने चली तो टमाटर लहसुन नहीं था... फिर घर-बाजार-घर तक का दौड़ लगाई..।
"समाज से फुर्सत मिले तो घर देख लेना..!"
मतदान के लिए समाज का आवाह्न करने प्रातःकाल से फेरी लगा घर वापस आई थी। ताने का तीखा छौंक लगना स्वाभाविक था।
{"देश चला रहा है बिजनेसमैन और नाम हो रहा है मोदी-मोदी।" ठेले पर आलू प्याज बेचने वाला जब किसी से बोल रहा था, थोड़ी देर पहले तो #फेसबुक_लाइव नहीं कर पाने का अफसोस हो गया था। #इसी_तबके_के_लोगों_द्वारा_अब_तक_उलटफेर_होता_आया_है_बिहार_की_राजनीति_में...}
"आज तो देश का सवाल है, देश तब समाज तब घर...।"
"बुजुर्ग कह गए हैं कि घर में दीया जलाकर तब मंदिर में दीया जलाया जाता है!"
"इसलिए न नेताओं की तिजोरी भरती चली जाती है और...!"
सस्नेहाशीष संग हार्दिक आभार पुत्तर जी
ReplyDeleteवाह !! अत्यन्त सुन्दर !!
ReplyDeleteगहन सटीक।
ReplyDeleteबहुत सटीक... लाजवाब
ReplyDeleteवाह!!!