*"चिंतन"*
तुलसी, तुलसी रहती है
चाहे प्रेम गणेश से करे
चाहे ब्याही जाए शालिग्राम से
बेटी बेटी नहीं रह जाती है
चाहे ब्याही जाए अमर या अकबर के साथ
बुरी होती हैं ?
बुरी होती है बेटियाँ
ब्याह के आते
चाहिए बँटवारा।
एकछत्र साम्राज्य
मांगें सारा का सारा।
खूंटे की मजबूती तौलती
आत्महत्या की धमकी।
प्रभुत्व/रूप से नशा पाती
वंश खत्म करती सनकी
समझती घर को फटकी।
(फटकी=वह झाबा जिसमें बहेलिया पकड़ी हुई चिड़ियाँ रखते हैं)
बहुत बुरी!
हाँ! हाँ, बहुत बुरी
होती है वो बेटियाँ
मूक गऊ सी बंध जाती हैं
सहती जाती हैं,
सहती जाती हैं
लेकिन कभी बोल कर बताना,
दूसरों को कि बोलना जरूरी है,
समय से आवाज उठाओ..
स्त्रियों तुम भी इंसान हो...
दोष नहीं है केवल बेटियों का..
हम अभिभावक उन्हें संतुलित रहने की
- सीख देने में असफल हो जाते हैं।
सच कहा दी.....बहुत अच्छी संदेश देती पंक्तियाँ
ReplyDeleteकौन सुने फरियाद ख़ुद में मगन जमाना
माँ तुम ही बिटिया को उसका सामर्थ्य बताना
बहुत सुंदर संदेश देती रचना ,सादर नमस्कार दी
ReplyDeleteहार्दिक आभार बहना
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 01 जनवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteसुंदर संदेश देती रचना
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